पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 33.pdf/३४८

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३०२. पत्र : सतीशचन्द्र दासगुप्तको

[५ मई, १९२७ ][१]

प्रिय सतीशबाबू,

अब मुझे मुसीबतसे बाहर निकल आया कह सकते हैं, क्योंकि रक्तचाप सामान्य हो गया है। मैं सुबह शाम हल्की सैर करता हूँ और थोड़ा बहुत लिखने-पढ़ने का काम करता हूँ । लेकिन में देख रहा हूँ कि आप अब भी चिन्तामुक्त नहीं हैं और लगता है। कि निखिल आपकी चिन्ताका कारण बना हुआ है। ईश्वर बच्चेपर कृपा करे।

मैं आरामकी जितनी भी जरूरत समझी जायेगी, अवश्य करूँगा ।

सस्नेह,

बापू

अंग्रेजी (जी० एन० १५६९) को फोटो-नकलसे ।

३०३. तार : सत्याग्रह आश्रमको

५ मई, १९२७

सत्याग्रह आश्रम
साबरमती

बार-बार पड़नेवाले [ चोरोंके ] छापोंको देखते हुए [ आश्रमकी शालाकी ] छुट्टी रद्द करने की सलाह देता हूँ । जो लोग रह सकते हैं, उन सबको आश्रम में बने रहना चाहिए | यदि जरूरत हो तो औरतों को रात्रिके समय छात्रालयमें रखनेका प्रबन्ध करना चाहिए । मुझे रोजमर्रा का हाल भेजा जाये । मैं बिलकुल ठोक हूँ ।

बापू

अंग्रेजी (एस० एन० ११७८६) की माइक्रोफिल्मसे ।

  1. गांधीजीका रक्तचाप सामान्य हो जानेके उल्लेखसे। देखिए पिछला शीर्षक ।