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३०५. पत्र : तारिणीप्रसाद सिन्हाको

नन्दी हिल्स
६ मई, १९२७

प्रिय तारिणी,

मुझे आपका पत्र पाकर खुशी हुई। आपकी बीमारी एक लम्बी बीमारी रही। खैर, में आशा करता हूँ कि आप शीघ्र ही अपनी शक्ति एवं स्फूर्ति पुनः प्राप्त कर लेंगे। आपने फिरसे अपनी पढ़ाई शुरू कर दी है; मगर उसका अपने ऊपर अधिक बोझ मत डालना ।

आपका, बापू

अंग्रेजी (जी० एन० १५६८) की फोटो-नकलसे ।

३०६ पत्र : आयुर्वेदिक सम्मेलनके मंत्रीको ' १. श्रीलंका में । २. आयुर्वेदिक भिषज आयोगकी रिपोर्ट ।

[७ मई, १९२७ से पूर्व ] प्रिय मित्र, अचानक बीमार पड़ जाने के कारण मैं आपके पिछले महीनेकी १७ तारीखके पत्रका उत्तर इससे पहले नहीं दे सका। आपने उस "अल्प मतवालोंकी रिपोर्ट " में जो कथन उद्धृत किये हैं, और जिन्हें मेरे कथन बताया है, तथा जिसे मैंने निश्चय ही नहीं देखा है, वास्तव में सही कथन है, लेकिन उन उक्तियों को प्रसंगसे अलग करके प्रस्तुत किया गया है। उस भाषण में, जिसकी रिपोर्ट मैंने नहीं पढ़ी है और जिस भाषणसे मेरा खयाल है कि उपर्युक्त कथन आपने उद्धृत किये हैं, में आयुर्वेद और आजकलके वैद्योंके बीचका अन्तर बता रहा था और मेरी यह राय जरूर है कि वैद्य जिस व्यवसायका प्रतिनिधित्व करते हैं, उसके प्रति न्याय नहीं करते। परन्तु इन शब्दोंका प्रयोग किसी ऐसी प्रस्तावनाके समर्थन में नहीं किया जाना चाहिए, जिसका अभिप्राय आयुर्वेद सम्बन्धी अनुसन्धानके लिए दी जा रही सरकारी सहायताको बन्द करा देना हो । मेरा विश्वास है कि आयुर्वेद एक ऐसा क्षेत्र है जिसमें अनुसन्धानकी बड़ी आवश्यकता है। पश्चिमी चिकित्साशास्त्र के समान शोधकार्य करनेवाले छात्रोंके अभाव में आयुर्वेद शोधकार्य एक तरहसे बिलकुल रुक गया है। इसलिए आयुर्वेदमें Gandhi Herritage Portal