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मलाबारके चन्देके विषयमें

विदशी कपड़ोंको फेंक दें, खादी पहनने लग जायें और जो तबतक चैनसे न बैठें जबतक देशके प्रत्येक फालतू क्षणका सदुपयोग न होने लग जाये । उस दिन ही, भारतकी स्त्रियाँ भी उस प्यारी स्विस बुढ़ियाकी भांति ७५ वर्षकी उम्र में भी युवतीके समान उत्साहवती, सुखी और श्रद्धाशील दिखाई देंगी, उसके पहले नहीं ।

[ अंग्रेजीसे ]

यंग इंडिया, १२-५-१९२७

३२४.मलाबारके चन्देके विषयमें

निम्नलिखित पत्र [१] मुझे पिछले वर्ष मिला था और तबसे वह मेरे पास पड़ा रहा है। उसके एक हस्ताक्षरकर्ता दीवान बहादुर एम० ओ० पार्थसारथी आयंगार हस्ताक्षर करनेके कुछ समय बाद ही दुर्भाग्य से स्वर्गवासी हो गये। पत्रमें लिखी बातें तथा उसके साथ हस्ताक्षरके रूपमें सम्बद्ध प्रतिष्ठित व्यक्तियोंके नाम [२]अपने आपमें काफी हैं । उसमें जो अपीलकी [३]गई है उसका मैं सच्चे दिलसे समर्थन करता हूँ। परन्तु उसपर औपचारिक रूपसे अमल करनेके पहले यह आवश्यक है कि दान देनेवाले सज्जनोंकी इच्छा जान ली जाये । 'यंग इंडिया' और 'नवजीवन' में जब दानके लिए अपील की गई थी, तब कुछ सज्जनोंने अपने दान 'सत्याग्रहाश्रम' के पते पर कुछने 'नवजीवन' के और कुछने गुजरात प्रान्तीय कांग्रेस कमेटीके कार्यालयके पते पर भेजे थे । और समय-समयपर जैसे श्री राजगोपालाचारी उसमेंसे रुपया मांगते गये उतनी रकमें उनके पास भेजी जाती रहीं। और उन्होंने इन रकमोंका हिसाब जाँच करवा लेने के बाद अखबारों में प्रकाशित करा दिया था। यह दैवी आपत्ति ऐसी आकस्मिक थी कि दयालु हृदय सज्जनोंने दानकी अपीलोंको पढ़ते ही उदारतापूर्वक दान दिया। परिणामस्वरूप लगभग सभी स्थानों में फालतू रकमें इकट्ठी हो गई थीं। रकममें उपयोग के लिए जो एजेन्सियाँ स्थापित की गई थीं, वे अपने समुचित कर्त्तव्य पालनकी दृष्टिसे उन सब रकमोंको खर्च नहीं कर सकी । जैसा कि निम्नलिखित पत्रके हस्ताक्षरकर्त्ता मुझे सूचित करते हैं, अन्य एजेन्सियोंने तो उन्हें मिली हुई रकममें से जो बचत हुई, उसे किसी-न-किसी उपयोगी काममें खर्च कर दिया है । 'यंग इंडिया' में छपी अपीलोंके जवाबमें आई हुई रकममें से बचे हुए धनको खर्च करनेकी मुझे कोई जल्दी नहीं थी । वह बैंकमें रख दिया गया है, जिससे उसपर

  1. यहाँ नहीं दिया जा रहा है।
  2. श्रीनिवास आयंगार; अ० भा० च० संघ तमिलनाड और केरलके मन्त्री रामनाथन; च० राज- गोपालाचारी; के० केल्लप्पन; एम० ओ० पार्थसारथी आयंगार; एम० कृष्णा नापर, एम० एल० सी० तथा त्रावनकोरके भूतपूर्वं दीवान और टी० रंगाचारियर |
  3. दक्षिण भारत बाद सहायता कोषकी बची हुई रकम अ० मा० च० संघकी मार्फत खादी कार्यके लिए दी जानेके लिए।