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३२७. पत्र : एच० कैलेनबैकको

नन्दी हिल्स (बंगलोरके समीप )
१३ मई, १९२७

लोअर हाउस [१],

मैं बिस्तरपर पड़ा-पड़ा पुराने बिना निपटाये पत्रोंको देख रहा हूँ और पुरानी पवित्र स्मृतियाँ ताजा कर रहा हूँ ऐसेमें ही मुझे आपका २७ फरवरीका वह पत्र मिला है जिसे आपने अपने घर, इनान्डासे एन्ड्रयूजके पत्रके साथ भेजा था । उस पत्रसे मेरी कितनी ही सुखद और पवित्र स्मृतियाँ जाग उठीं। पिछले दो वर्षोंमें यद्यपि आपने बहुत पत्र नहीं लिखे - परन्तु जो भी पत्र लिखे वे निराशासे भरे हुए और आत्मविश्वाससे रहित हैं। परन्तु जबतक मैं जीवित हूँ आपके प्रति मेरा विश्वास कम नहीं हो सकता। मुझे आशा है कि पहलेकी तरह, आप क्षणिक प्रसन्नता देनेवाली सनसनीपूर्ण बातोंसे तंग आ जायेंगे और एक पुराने मित्रको देखने और पुराने परिचितों को फिरसे मिलनेके लिए कमसे-कम भारत जरूर आयेंगे । आपने अगले सितम्बर या अक्तूबरमें भारत आनेका एक कच्चा वायदा किया है। यदि सम्भव हो सके तो आप अवश्य आएँ और अधिक या थोड़ा जितना भी ठहरना चाहें, यहाँ ठहरें ।

मुझे प्रसन्नता है कि आप यदाकदा थोड़ा समय एन्ड्रयूजकी संगतिमें बिता पाते हैं। मैंने अपने सारेके-सारे एवं तरह-तरहके अनुभवों के बीच उनसे अधिक विनीत और धर्मभीरु व्यक्ति नहीं देखा ।

आपसे मुझे अपनी बीमारीके सम्बन्ध में कुछ कहने की जरूरत नहीं है; क्योंकि मैं जानता हूँ कि आप 'यंग इंडिया' तो लेते ही हैं और उसे पढ़ते भी हैं । मैं आजकल मैसूर राज्य में एक छोटी-सी पहाड़ीपर अपना इलाज करवा रहा हूँ, जहाँ बहुतसे निष्ठावान स्वयंसेवक और बहुतसे मेरे निकटतम साथी कार्यकर्ता मेरी देखभाल कर रहे हैं। श्रीमती गांधी और देवदास मेरे पास हैं । दूसरोंके नामोंसे आप कुछ नहीं समझेंगे । इसलिए वे नाम में नहीं लिखूंगा । पर जब आप आयेंगे आप उन सबको देखेंगे और जानेंगे जो इस पहाड़ीपर मेरे साथ हैं।

यह कमजोरी मुझपर क्षणभरमें हावी हो गई । पिछले कुछ समय से मैंने दिमागपर इतना अधिक बोझ डाल रखा था कि संकट आ पड़नेकी आशंका तो थी ही । और जब मैं हलका कार्यक्रम बनानेकी तैयारीमें ही था कि यह कमजोरी आ गई। ऐसा प्रतीत होता है जैसे ईश्वरने कहा हो "इससे पहले कि तुम अपनी पद्धतिके पागलपनको समझ पाओ, मैं तुम्हारे अभिमानको नष्ट कर दूंगा, और तुम्हें दिखा दूंगा कि यह सब अच्छे उद्देश्य के लिए किया जा रहा है। ऐसा सोचकर तुम्हारा इस तरह

  1. गांधीजी कैलेनबैकको प्रेमसे 'लोअर हाउस' तथा स्वयंको 'अपर हाउस' कहते थे।