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३३०. पत्र: एच० क्लेटनको

नन्दी हिल्स
१३ मई, १९२७

प्रिय श्री क्लेटन,

सवेंट्स ऑफ इंडिया सोसाइटीके श्री अ० वि० ठक्करने इस मासके दिनांक ४, 'टाइम्स ऑफ इंडिया' की एक कतरन भेजी है, जिसमें नगर निगमकी बहसकी रिपोर्ट है। इसमें आपके सम्बन्धमें कहा गया है कि आपने श्री ठक्कर द्वारा की गई जांच- पड़तालके सम्बन्धमें निम्नलिखित बातें कहीं हैं:

आयुक्तने आगे बोलते हुए कहा कि मैं सामान्य प्रशासनको समस्याके सम्बन्धमें विचार नहीं कर रहा हूँ। श्री हॉनिमनने श्री ठक्कर द्वारा की गई जाँच-पड़तालका जिक्र किया था । अध्यक्ष महोदयकी श्री ठक्करके प्रति बड़ी श्रद्धा है । इस भद्र पुरुषको जांच-पड़तालका पूरा मौका दिया गया है । एक बार श्री गांधीके साथ भी उन्हें ऐसा मौका दिया गया था। परिणामस्वरूप श्री गांधीने सूचना दी कि सबके-सब गवाह इतने अविश्वसनीय हैं कि मैं उनके द्वारा लगाये गये किसी आरोपका विश्वास नहीं कर सकता।

यदि आप कृपया मुझे बतायें कि क्या आपके सम्बन्धमें यह सही रिपोर्ट दी गई है, तो मुझे प्रसन्नता होगी और यदि कृपया मुझे तथाकथित, मेरी दी हुई रिपोर्टकी प्रति भेज दें तो मैं आपका आभार मानूंगा । मुझे भंगियोंकी शिकायतोंके सम्बन्धमें स्व० श्री टर्नरसे हुई भेंट या भेटोंकी तो याद है । परन्तु उपर्युक्त अनुच्छेदमें कहे अनुसार मुझे अपने श्री ठक्करके साथ या और किसी तरहसे जांच-पड़ताल करनेकी कुछ याद नहीं आती।

जब डा० मेहता मुझे अम्बोलीमें मिले थे उस समय आपने मेरे बारेमें जो पूछताछ की थी उसके लिए मैं आपका आभार मानता हूँ। जैसा कि आप जानते हैं, में उपर्युक्त पहाड़ीपर विश्राम कर रहा हूँ। यह स्थान अम्बोलीसे ज्यादा ऊँचाईपर है और इसलिए अपेक्षाकृत ठण्डा है ।

हृदयसे आपका,

एच० क्लेटन महोदय

आयुक्त
नगर निगम

बम्बई

अंग्रेजी (एस० एन० १२९०९) की माइक्रोफिल्मसे ।