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अपील : दक्षिण आफ्रिकाके भारतीयोंसे

पास हरएक निजी शिकायत लेकर नहीं दौड़ेंगे। यदि आप ऐसा करेंगे तो आप रुपयेका उपयोग कौड़ीकी तरह करनेकी भूल करेंगे ।

हमारी शक्ति सत्यपर ही निर्भर है। आप अपने धन्धेमें चाहे जो कुछ भी करें परन्तु अपने समाजके हितोंका खयाल करके शास्त्रीजीके साथ अपने व्यवहारमें सत्यसे हटनेकी बात कभी न सोचियेगा। उनसे छल करनेकी कोशिशमें आप अपना ही नुकसान करेंगे ।

आपके अन्दर फूटकी खबरें यहाँ बराबर आती रहती हैं। यदि आप अपने हित अलग-अलग बनाते जायेंगे जैसे गरीबोंके अलग और अमीरोंके उनसे भिन्न हक और परस्पर विरोधी उत्तर भारतीयों व दक्षिण भारतीयोंके कुछ, और व्यापारी पक्षके कुछ, उपनिवेशमें जन्मे लोगोंके कुछ, ट्रान्सवालके भारतीयोंके हित और तो केपके भारतीयोंके दूसरे कुछ। तो, और तो रहा दूर, जो कुछ आपने प्राप्त कर लिया है उसे भी खो देंगे। यदि आप अपनी, अर्थात् समस्त भारतीय समुदायकी स्थिति बेहतर बनाना चाहते हैं तो आप सबको हमेशा एक होकर रहना होगा।

अन्तमें तो हमारी विजय अपने ही प्रयत्नोंसे होगी । हमारे प्रयत्नोंका अर्थ छल कपटसे नहीं है, वरन् आत्मशुद्धि है और आत्मशुद्धिका अर्थ है अपनी भीतरी बुराइयाँ आप दूर करना, अपने अन्धविश्वास और कुप्रथाएँ मिटाना, बच्चोंको पढ़ाना और शिक्षा तथा अन्य अच्छे-अच्छे कामों में पैसे लगाना । आत्मशुद्धिके इस कार्यमें परम माननीय शास्त्रीजीके समाज-सुधार तथा शिक्षा विषयक अनुभवजन्य ज्ञानसे बहुत लाभ मिलना चाहिए और श्रीमती शास्त्रीसे भी हमारी भारतीय महिलाएँ प्रेरणा पा सकती हैं।

आपको अपनी स्थिति इतनी आसानी से सुधारनेका ऐसा दूसरा मौका निकट भविष्यमें फिर नहीं मिलेगा। मेरी रायमें शास्त्रीजीसे अधिक योग्य, उपयुक्त और निष्पक्ष प्रतिनिधि पाना असम्भव था । यही समझिए कि इस शुभ कार्यके होनेमें परमात्माका हाथ है। अब परमात्माने कृपा करके जो अवसर दिया है, उससे अधिक लाभ उठाना न उठाना पूर्णतया आपपर निर्भर है। ईश्वर आपको सही रास्ता दिखलाये ।

[ गुजरातीसे ]

नवजीवन, १५-५-१९२७

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