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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

हैं, सत्संग ढूंढ़ते हैं और चरखा-यज्ञ करते हैं। जिनमें श्रद्धा नहीं होती, वे चरखेको हाथ क्यों लगाने लगे ?

मैं अच्छा होता जा रहा हूँ ।

बापूके आशीर्वाद

[पुनश्च: ]

कागजके दूसरी ओर इतनी सारी जगह खाली रह गई, यह मैंने नहीं देखा था । हम जानते हैं कि हम गरीब हैं इसलिए उसे मैं बेकार कैसे जाने देता ?

गुजराती (जी० एन० ३६४९) की फोटो-नकलसे।

३४८. पत्र : तारा मोदीको

नन्दी दुर्ग
वैशाख सुदी १५ [१६ मई, १९२७]

चि० तारा,

तुम्हारी तबीयतके समाचार तो मुझे मिलते ही रहते हैं। तबीयत क्यों बिगड़ गई थी ? हिस्टीरिया कैसे हो गया ? यदि विस्तृत पत्र लिखने लायक शक्ति हो तो मुझे लिखना। यदि तुम उपवास करना चाहो तो उससे मुझे तनिक भी चिन्ता नहीं होगी, क्योंकि दिन पर दिन मेरा यह विश्वास दृढ़ होता जा रहा है कि जब कोई दवा असर नहीं करती उस अवस्थामें उपवास रामबाण ओषधि सिद्ध होती है। उपवाससे नुकसान तो होता ही नहीं, किन्तु यदि हिम्मत न पड़े तो उपवास कदापि न करना ।

बापूके आशीर्वाद

गुजराती (सी० डब्ल्यू० १६९७) से ।

सौजन्य : रमणीकलाल मोदी