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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

तो हमें इन पारिवारिक बाधाओंको दूर करते हुए आगे निकलना है । मैं जानता हूँ कि झूठमूठ स्वीकार किये गये ये दायित्व व्यक्तियोंकी एवं राष्ट्रकी उन्नतिमें जैसा रोड़ा अटका रहे हैं, वैसी बाधा साधारणतया अन्य बहुत कम चीजें पैदा कर रही हैं। जिन पुरुषों एवं महिलाओंमें काम करनेकी शक्ति है, उनका भरण-पोषण करना गलत काम है। मैं तो कुछ ऐसा कहना चाहता हूँ कि यह अनैतिक कार्य है। यदि कोई समृद्ध राष्ट्र भी अपने आधे लोगोंका, बिना उनसे काम लिये, भरण-पोषण करना आरम्भ कर दे, तो वह राष्ट्र नष्ट हो जायेगा । हम तो इससे कहीं ज्यादा बुरा कार्य कर रहे हैं और फिर भी हम शक्ति सम्पन्न, आत्मनिर्भर एवं स्वाभिमानी राष्ट्र बनना चाहते हैं। यह असम्भव बात है ।

अपने अन्तिम निर्णयकी सूचना मुझे अवश्य ही दीजिएगा । आप मुझे जब पत्र लिखना चाहें, निस्संकोच होकर लिखते रहें । यदि आपको सार्वजनिक सेवाकार्यसे विरत होना पड़े तो यह बड़े संकटकी बात होगी ।

हृदयसे आपका,

श्री सतकौड़ीपति राय

२७, कालीदास पतितेन्दु लेन
कालीघाट

कलकत्ता

अंग्रेजी (एस० एन० १२५७९) की फोटो-नकलसे ।

३५५. पत्र : एस० श्रीनिवास आयंगारको

नन्दी हिल्स
१९ मई, १९२७

प्रिय मित्र,

अपनी शक्तिको बनाये रखनेके लिए मुझे बोलकर लिखवाना ही पड़ता है। मैं आपके सुविचारित तारकी [१] कद्र करता हूँ । हमारे चारों ओर जो गन्दा वातावरण है, उसके कारण मैं यह तार पाकर उत्साह नहीं दिखा पाया । हमारे अच्छेसे-अच्छे प्रस्ताव निष्फल होकर रह जाते हैं, क्योंकि ऐसा लगता है कि हम लोगोंको अपने साथ ले चलनेकी शक्ति खो बैठे हैं। यदि लोग बर्बरतासे एक दूसरेके सिर फोड़ते रहें, तो हमारे प्रस्तावोंसे क्या लाभ होनेवाला है ? परन्तु मैंने आपके सम्बन्धमें कहा है कि जहाँ दूसरे लोग असफल हो गए हैं वहाँ आप अपने अजेय विश्वासके कारण सफल हो सकते हैं। इसलिए मैं आपके लिए पूर्ण शक्तिकी कामना

  1. तारमें १५ और १६ मईको बम्बईमें अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी द्वारा हिन्दू-मुस्लिम समस्यापर सर्वसम्मतिसे पास किये गए प्रस्तावका विवरण था ।