लोग दिनमें कुछ समय ठहरेंगे। वैसे उस दिन तीन गाँव निपटाने हैं। शुक्रवारके दिन आरामें रहूँगा। रविवारको पटना पहुँचूँगा। सोमवारकी रातको पटनासे चल दूँगा और मंगलवारको कलकत्ता होकर गोंदिया जाऊँगा। बुधवारको गोंदिया।
मणिलाल कहते थे कि मणिबहनका विचार मन ही मन विवाह करनेका हो रहा है। मैंने खूब जाँच कर ली है, अभी तो यही निश्चय है कि वह विवाह नहीं करेगी। हम उसे प्रोत्साहन दें। आप उसकी चिन्ता छोड़ ही दीजिये। उसकी चिन्ता में कर ही रहा हूँ और आगे भी करूँगा। उसे कराची भेजनेकी बात सोच रहा हूँ। वहाँ जानेको वह राजी भी है। वहाँकी आबहवा उसे अनुकूल आयेगी और वह अच्छा काम कर सकेगी।
अन्य बातें तो महादेव या देवदास लिखेंगे तो मालूम हो जायेंगी। मेरी तबीयत ठीक रहती है।
बापू
कचरापट्टीके प्रमुख महोदय[१]
खमासा गेट, अहमदाबाद
बापुना पत्रो—२: सरदार वल्लभभाईने
४. भाषण: बेतियामें[२]
२३ जनवरी, १९२७
महात्माजीने सभी अभिनन्दनपत्रोंका उत्तर संयुक्तरूपसे दिया। उन्होंने कहा कि काफी लम्बे समयके बाद बेतियाके लोगोंसे मिलकर मुझे खुशी हुई है। चम्पारन और उसमें भी मोतीहारी और बेतिया मेरे लिए पवित्र स्थान हैं। चम्पारनके अपने अनुभवोंसे मैं आधुनिक भारतकी गरीबीसे कुछ हदतक परिचित हुआ; वहाँ मैंने खुद अपनी आँखोंसे देखा कि आम तौरपर गाँवोंके लोग कितनी दयनीय दशामें रहते हैं। मुझे खुशी है कि नगरपालिकाने इतना काम किया है और मैं आशा करता हूँ कि आप लोगोंके सामने पानीकी जो समस्या है वह भी शीघ्र ही लोगोंके दृढ़ निश्चय और लगनसे हल हो जायेगी। अगर शहरी लोगोंको शुद्ध जल, शुद्ध दूध और शुद्ध वायु मुहैया नहीं की जा सकती तो नगरपालिकाके अस्तित्वका कोई औचित्य ही नहीं है। नगरपालिकाका उद्देश्य ही नागरिक जीवनको शुद्ध बनाना है और में आशा करता हूँ कि आप उस उद्देश्यको प्राप्त करनेमें सफल होंगे।