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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

 

प्राथमिक शिक्षाकी चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि भारतमें, विशेष करके चम्पारनमें प्राथमिक शिक्षाके निर्धारित विषयोंमें कताई जरूर रहनी चाहिए। उन्होंने कहा कि अक्षरज्ञान बेशक जरूरी है, बिलकुल जरूरी है, लेकिन यह ज्ञान किसी पेशेके प्रशिक्षणके बिना भारतके गरीब लोगोंके लिए बिलकुल बेकार होगा। प्रारम्भिक अवस्थामें जबतक विद्यार्थियों को किसी तरहका व्यवसाय सम्बन्धी प्रशिक्षण नहीं दिया जाता, तबतक वे अपने बादके जीवन में आत्मनिर्भरताका पाठ नहीं सीखेंगे। मैं आशा करता हूँ कि बेतिया नगरपालिकाके सदस्य कताईकी तरफ जितना जरूरी है, उतना ध्यान देंगे।

गोशालाकी चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि यदि आपको सचमुच ही गायोंसे कुछ प्यार है तो आपको वही रास्ता अपनाना चाहिए, जो मैंने सुझाया है। हर गोशाला में काफी संख्या में अच्छी गायें होनी चाहिए और उनको इस तरह रखना चाहिए कि वे अच्छा दूध वें। यह शुद्ध दूध शहरी लोगोंको दिया जाना चाहिए। अगर इन गोशालाओंका ठीकसे संचालन किया जाये तो वहाँका दूध बाजारमें कहीं और मिलनेवाले दूधसे जरूर सस्ता रहेगा। ऐसे दुग्धालयोंके साथ-साथ चमड़ा कमानेके कारखाने भी चलाए जाने चाहिए और इस तरह होनेवाली आमदनीको गायोंके पालन-पोषणपर खर्च किया जाना चाहिए। भारतमें गायोंकी शोचनीय दशाके लिए मुख्य रूपसे खुद हिन्दू ही जिम्मेदार हैं। मैं आशा करता हूँ कि गोशालाएँ सही और वैज्ञानिक ढंगसे चलाई जायेंगी। तभी ऐसी संस्थाओंके सच्चे उद्देश्य की पूर्ति हो सकेगी।

भाषण जारी रखते हुए उन्होंने कहा कि गोरक्षा, स्त्रियोंकी रक्षा और अछूतोद्वार ये सब नगरपालिकाके कर्त्तव्यों में शामिल हैं। जबतक एक भी स्त्रीको रोजमर्रा अपने पेटकी रोटीके लिए गलत रास्ता अपनाना पड़ता है, तबतक पुरुषोंको जीनेका कोई हक नहीं है; जबतक एक भी गाय आजकी तरह शोचनीय दशामें रहती है, तबतक आपको जीने का कोई हक नहीं है; और यदि अस्पृश्यताकी दूषित प्रथा चलती रही, तो निकट भविष्यमें भारतसे हिन्दुओंका नामोनिशान मिट जायेगा।

हिन्दूभाको सम्बोधित करते हुए उन्होंने कहा कि यदि सचमुच वह स्त्रियमाण हिन्दू जातिको बचाना चाहती है, तो उसे अब भी चरखेकी ओर उन्मुख हो जाना चाहिए। उस लक्ष्यको प्राप्तिके चाहे जो भी अन्य उपाय सुझाये जायें, चरखा उन सबका केन्द्र-बिन्दु अवश्य बना रहना चाहिए।

भाषण समाप्त करते हुए उन्होंने श्रोताओंसे भारतके गरीब लोगों और ईश्वरके नामपर हृदयद्रावक अपील की कि वे महान [खद्दर] कार्यको चलानेके लिए उन्हें धनको सहायता दें और अन्य सभी तरहके कपड़ोंके मुकाबलेमें खद्दरको तरजीह देकर उसे इस्तेमाल करें। उन्होंने जनतासे खादी, जो हमेशा की भाँति सभामें रखी गई थी, खरीदने को कहा।

[अंग्रेजीसे]
सर्चलाइट, ३०-१-१९२७