पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 33.pdf/४३२

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।
३९४
सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

पत्र तुम्हें अभीतक नहीं मिला होगा, तो इस डाकसे मिलेगा । मैं इस पत्रकी एक नकल उनको भेज रहा हूँ ।

अच्छा हो, तुम भी अपनी इच्छा तार द्वारा सूचित कर दो। जुलाईके अन्त तक मेरे बंगलोरमें रहनेकी सम्भावना है। इसलिए तुम अपना तार सीधा बंगलोर भेज सकते हो या बिलकुल पक्का काम करना हो तो आश्रमके पतेपर भेज देना । वहाँसे वह तार मुझे, मैं जहाँ भी होऊँगा, भेज दिया जायेगा।

तुम सबको सस्नेह,

तुम्हारा,
मो० क० गांधी

[ अंग्रेजीसे ]

ए बंच ऑफ ओल्ड लैटर्स

तथा एस० एन० १२५७२ की फोटो-नकलसे ।

३८०. पत्र : मोतीलाल नेहरूको

नन्दी हिल्स
२५ मई, १९२७

प्रिय मोतीलालजी,

जमनालालजीने मुझे आपका पत्र दिया और बताया कि आप एक लम्बा पत्र भेज रहे हैं। जबसे मुझे आपका पहला पत्र मिला है, मैं इस विषयपर लगातार सोच रहा हूँ। अध्यक्ष यहाँ हैं और कल उन्होंने इस विषयकी चर्चा छेड़ी थी । मैंने जवाहरलालका नाम लिया। उन्होंने इस सम्बन्धमें नहीं सोचा था । बहरहाल उन्होंने अन्सारीको तरजीह दी। मैंने उन्हें कहा कि यदि डा० अन्सारीको यह सम्मान स्वीकार करनेके लिए प्रस्तुत किया जा सके तो जवाहरलालकी सारी चर्चा समाप्त हो जायेगी। और मैं समझता हूँ कि यह हमारा सौभाग्य होगा यदि डा० अन्सारीको यह भार वहन करने के लिए तैयार किया जा सके। मैंने जवाहरलालको पत्र [१] लिखा है। जवाहरलालको लिखे पत्रकी प्रति आपको भेज रहा हूँ। इससे मेरी अन्तिम राय प्रकट होती है। पहले मैंने सोचा था कि अपना लिखा पत्र जवाहरलालके पास भेजने के लिए आपको भेज दूं, ताकि यदि आप चाहें तो उस पत्रको रोक लें। परन्तु बादमें मैंने सोचा कि यदि मैं आपके देखने से पूर्व भी जवाहरलालको पत्र भेज दूं, तो इसमें कोई हानि नहीं है। आप जो चाहें मेरे पत्रमें जोड़ सकते हैं, जिससे जवाहरलाल सही निर्णय ले सके ।

हृदयसे आपका,

अंग्रेजी (एस० एन० १४६१४) की फोटो-नकलसे ।

  1. देखिए पिछला शीर्षक ।