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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

जायेगी कि यह रिहाई सरकारकी दयाभावनाके कारण नहीं, बल्कि सबसे ताकतवर प्रकृतिके हस्तक्षेपके कारण हुई है।

सम्भव है, लोगोंको मेरी यह बात क्रूरतापूर्ण लगे, लेकिन मैं तो कहूँगा कि मैं यह ज्यादा पसन्द करूंगा कि कतई कोई रिहाई न हो तो बेहतर है, बनिस्बत इसके कि किन्हीं ऐसे झूठे कारणोंसे रिहाई हो, जिससे मुख्य प्रश्न और भी अधिक उलझ जाये और तब उसे सुलझानेका काम पहलेसे और ज्यादा कठिन हो जाये क्योंकि इन कैदियोंकी रिहाईके आन्दोलनकी जड़में नागरिकोंकी स्वाधीनता और बिलकुल एक गैरजिम्मेदार सरकार द्वारा जनता के जीवनपर असाधारण अधिकारोंके प्रयोग में लानेका सवाल है । इस दुःखद मामलेमें से भी अगर जनता कोई सान्त्वनाकी चीज ढूंढ़ निकालना चाहे तो उसे एक चीज जरूर मिल जायेगी और वह यह कि अन्तिम क्षणतक श्रीयुत सुभाषचन्द्र बोस सरकार द्वारा समय-समयपर रिहाईके लिए रखी गई उन अपमान भरी शर्तोंको बड़ी जवांमर्दीके थ मानने से इनकार करते रहे। अब हमें आशा और प्रार्थना करनी चाहिए कि परमात्मा उन्हें शीघ्र ही फिर स्वस्थ करे, और वे चिरकालतक अपने देशकी सेवा करते रहें ।

[ अंग्रेजीसे ]

यंग इंडिया, २६-५-१९२७

३८४. अपील : भारतीय जनताके नाम

'नवजीवन' में प्रकाशित श्रीयुत किशोरलाल मशरूवालाके विचारोंका सार अन्यत्र दिया गया है। वे एक काफी पुराने कार्यकर्ता हैं और अभी हालतक गुजरात विद्यापीठके रजिस्ट्रार थे। महज बीमारीके सबबसे उन्हें उस पदका त्याग करना पड़ा है। भारतमें चुपचाप शान्तिसे काम करनेवाले लोगोंमें से वे एक अत्यन्त विचारशील कार्यकर्ता हैं । वे प्रत्येक शब्द तौल-तौलकर लिखते या बोलते हैं। मैं उनके इन गुणोंका उल्लेख यहां इसलिए कर रहा हूँ कि मैं चाहता हूँ कि पाठक उनके विचारोंको पढ़कर उसी तरह भुला न दें, जैसे कि आजकल हमें कई लेखोंको भुला देना पड़ता है।

रानीपरजकी बेबस स्त्रियोंके साथ किये जानेवाले व्यभिचारकी बात हमारे राष्ट्रके माथेपर एक कलंकका टीका है। श्रीयुत किशोरलाल मशरूवालाने इस बुराईको दूर करनेके लिए पारसियोंसे अपील की है और उनके विचारसे यह ठीक भी है, क्योंकि भोलीभाली स्त्रियोंको बिगाड़नेवाले जो पारसी लोग बताये जाते हैं, उनपर यदि कोई कुछ असर डाल सकता है, तो वह पारसी लोग ही अच्छी तरहसे डाल सकते हैं। परन्तु दुःखके साथ मुझे यह चीज मालूम हुई है कि गरीब बहनोंकी आबरूको इतनी सस्ती केवल पारसी ही नहीं समझते हैं। दूसरे धर्मोके भारतीय भी ऐसी ही परिस्थिति में ठीक इसी तरहका आचरण करते हुए पाये गये हैं, जैसा कि ये शराबकी कैन्टीनवाले पारसी करते बताये जाते हैं। परन्तु इससे पारसियोंके इन अमानुषिक