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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

की गई है। यदि हम स्वाधीन और स्वाभिमानी राष्ट्र बनना चाहते हैं तो हमें इस बुराईको दूर करना ही होगा। गरीब-से-गरीब बहनकी आबरू भी हमारे लिए उतनी ही मूल्यवान और प्रिय होनी चाहिए जितनी अपनी सगी बहनकी होती है।

[अंग्रेजीसे ]

यंग इंडिया, २६-५-१९२७

३८५. टिप्पणियाँ

अखिल भारतीय चरखा संघ

अखिल भारतीय चरखा संघकी परिषदने मुझे संघके कार्य संचालनके भारसे मुक्त कर दिया है और सेठ जमनालाल बजाजको कार्यवाहक अध्यक्ष नियुक्त कर दिया है, क्योंकि मुझे सक्रिय और दैनिक कार्यसे लम्बे अर्सेतक विश्राम लेनेकी जरूरत है। इसलिए यद्यपि नाममात्रको मैं अब भी संघका अध्यक्ष हूँ, फिर भी उसके कार्य संचालनका सारा भार जमनालालजीपर रहेगा और अबसे पत्रलेखकोंको जब भी जरूरत जान पड़े, मेरे बजाय उन्हींको पत्र लिखें। ठीक तरीका तो निश्चय ही यही है कि सब पत्र संघके कार्यकारी मन्त्री श्रीयुत शंकरलाल बैंकरको लिखे जायें। क्योंकि स्वाभाविक है कि जमनालालजी किसी निर्णयपर पहुँचने के पहले सब पत्र उन्हींको भेजा करेंगे। इसका अर्थ यह नहीं है कि मैं संघके मामलों में कोई दिलचस्पी नहीं लूंगा । इसके विपरीत जब कभी परिषद अथवा कार्यवाहक अध्यक्ष अथवा मन्त्रीकी रायमें किसी मामलेको मेरे सामने रखना ही उचित होगा, तब वह मार्गदर्शन और परामर्शके लिए मेरे सामने रखा जायेगा। किन्तु परिषदका निर्णय और परिषद्के साथ मेरी जो बात तय हुई है, वह यह कि में हर छोटे या बड़े मामलेकी तफसीलके बारेमें, प्रत्येक समस्याके बारेमें उतनी चिन्ता नहीं करूंगा जितनी मैं अबतक करता आया हूँ। उन्होंने मुझसे यह वचन ले लिया है कि अब मैं इन कामोंसे दूर रहूँगा और सारा भार उन्हींके ऊपर डालूंगा और उनपर यह बात छोड़ दूंगा कि जिन मामलोंको वे इतने महत्त्वपूर्ण समझें कि उनपर वे मेरी राय लेना आवश्यक समझें, उनके बारेमें वे मुझसे राय लें। किसी भी सजीव संस्थाकी यही कसौटी है कि वह किसी एक व्यक्तिपर निर्भर नहीं रहती, चाहे वह व्यक्ति कितना ही महत्त्वपूर्ण और योग्य क्यों न हो। सजीव संस्था तो अपना काम करती ही जाती है। परिषदके सदस्योंकी कोशिश यह है कि वे इस संघको एक सजीव और कुशलताके साथ प्रभावशाली काम करनेवाली संस्था बना दें। इसलिए में विश्वास करता हूँ कि खादी कार्यकर्ता और खादी प्रेमी नई व्यवस्थाको सहयोग देंगे और इस प्रगतिशील संस्थाको यथासम्भव अधिकसे-अधिक अच्छे ढंगसे चलानेमें परिषदकी सहायता करेंगे ।

एक अनुकरणीय दृष्टांत

लगता है कि जावरा राज्य रंगाई और छपाईके लिए मशहूर है। मुझे मालूम हुआ है कि जावराके राज्य प्रमुख नवाब साहब खादी आन्दोलनमें दिलचस्पी रखते