पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 33.pdf/४४१

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।

३८७. पत्र : जेन हॉवर्डको

आश्रम
साबरमती [१]
२६ मई, १९२७


प्रिय कुमारी हॉवर्ड,

आपका पत्र जिसमें आपने स्व० श्री हॉवर्ड और अपने बारेमें विवरण दिया है, पाकर प्रसन्नता हुई। आपका उनके साथ जो सम्बन्ध था, उसके तथा आपके निःस्वार्थ सेवाभावके बारेमें मुझे कुछ मालूम नहीं था। आपने जो विवरण दिया है, उसे पढ़कर आत्माको शान्ति मिलती है। इसके लिए में आपका अत्यन्त आभारी हूँ ।

मुझे आशा है कि आपको 'यंग इंडिया' नियमित रूपसे मिल रहा होगा। न मिल रहा हो तो कृपया लिखिए । आप समय-समयपर मुझे लिखती अवश्य रहें। चूँकि मैं अभी बीमारीके बिस्तरपर हूँ, इसलिए मैं यह पत्र बोलकर लिखवानेके लिए बाध्य हूँ।

श्रीमती गांधी और मेरी ओरसे स्नेहपूर्ण अभिवादन सहित ।

{{Right|हृदयसे आपका,

कु० जेन हॉवर्ड,

रोजमैरी
५०, पण्डोरा रोड

मलबोर्न, जोहानिसबर्ग
अंग्रेजी (एस० एन० १२३५४) की फोटो-नकलसे ।

३८८ पत्र:फ्रांसिस्का स्टेन्डेनथको

आश्रम
साबरमती [२]
२६ मई, १९२७


प्रिय बहन,

इस बार आपका पत्र बहुत दिनोंके बाद आया। मैं बराबर आपकी याद करता रहता हूँ। आपको मेरे स्वास्थ्यके सम्बन्ध में चिन्ता नहीं करनी चाहिए। मेरा स्वास्थ्य बराबर सुधर रहा है। यद्यपि मेरी बीमारी अस्थायी थी, तो भी मुझे इससे कमजोरी बहुत आ गई। बहरहाल मैं प्रतिदिन थोड़ा-बहुत काम कर सकता हूँ ।

मैं आपकी श्री रणछोड़लाल अमृतलालके साथ हुई भेंटके ब्यौरेकी प्रतीक्षा करूँगा ।

  1. स्थायी पता ।
  2. स्थायी पता ।