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३९०. पत्र : आर० बी० ग्रेगको

नन्दी हिल्स
२७ मई, १९२७


प्रिय गोविन्द,

आपने मगनलालको इसी महीनेकी १७ तारीखको जो महत्त्वपूर्ण पत्र लिखा, और जिसकी एक प्रति मगनलालने मुझे भेजी है, उससे मुझे आपको यह पत्र लिखनेका अवसर प्राप्त हुआ है।

यदि हम तथ्योंको स्वीकार कर सकें, तो आपके सुझाव अत्यन्त श्रेष्ठ हैं। मैं आपको जो बात अब बताने जा रहा हूँ यह बात सम्भवतः मगनलालके ध्यानमें ही नहीं आई है। यदि यह बात उसके ध्यानमें आई भी हो तो मुझे इसमें कोई आश्चर्य नहीं होगा, क्योंकि मैं समझता हूँ कि मगनलालने कताई-आन्दोलनके तत्त्वको आत्मसात् कर लिया है। जो मैं कहना चाहता हूँ वह यह है : ऐसी जीवन पद्धतिमें जिसमें कि शत्रुओंके लिए कोई गुंजाइश नहीं, यदि विरोधी शब्दका प्रयोग उचित है, तो विरोधियों द्वारा अपनाये गये तरीकोंको या विरोधियों द्वारा अपनाये गये तरीकोंमें आवश्यक परिवर्तन करके करीब-करीब उन्हीं तरीकोंको अपनाकर हम सफल होने की आशा रखते हों, तो यह आन्दोलन निश्चय हो असफल सिद्ध होगा। मेरी रायमें कमसे-कम जहाँतक भारतका सवाल है हमें इस आन्दोलनको सजीव और सार्वत्रिक शक्ति बनाने के लिए दूसरे उपाय सोचने चाहिए। विरोधीका नवीनतम उपकरणों के प्रयोगमें विश्वास है। इसलिए उसे उन लोगोंके तरीकोंका प्रयोग अवश्य करना है, जो इन उपकरणोंके प्रयोग में कुशल हैं। परन्तु कताई-आन्दोलनमें आधुनिक उपकरणोंका ज्यादातर बहिष्कार किया जाता है, और कुछ एक उपकरण, जो रखे भी जाते हैं, उनका अलग तरीकेसे प्रयोग किया जाता है। हमारे आन्दोलनमें टाइपराइटरोंकी और आशुलिपिकी मदद अस्थायी तौरपर ली जाती है। इसी तरहके अन्य उपायोंको भी अस्थायी तौरपर अपनाया जाता है। जैसे ही कोई व्यक्ति गाँवोंमें जाता है, ये उपकरण सहायक होनेके बजाय बाधक बन जाते हैं। यदि आन्दोलनको बढ़िया आशुलिपि पर निर्भर रहना पड़े, तो यह शीघ्र ही असफल हो जायेगा। क्योंकि फिर यह आन्दोलन इन हालातोंमें शहरोंसे बाहर निकलकर कोई प्रगति नहीं कर सकता। यदि इस आन्दोलनको प्रसारके लिए अंग्रेजी भाषापर निर्भर रहना पड़े, तो भी यह सफल नहीं हो सकता। आपको मालूम है कि आश्रममें और संघके कार्यालयमें और यहाँ भी हम नाममात्रके ही आशुलिपिकोंसे काम चला रहे हैं। यदि विज्ञापन दें तो भी शायद हमें सबसे अच्छा आशुलिपिक नहीं मिलेगा। क्योंकि उसे मालूम हो जायेगा कि इस आन्दोलनमें केवल आधा दर्जन आशुपिलिकोंकी जरूरत है। और हमें, जैसा कि मेरा खयाल है, आजकल जो १०० या १२५ अभी दिये जा रहे हैं उसकी जगह