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पत्र : टी० एन० शर्माको

योजनाके रूपमें भी आपने जो उद्धरण भेजा है, वह महत्त्वपूर्ण है। जैसे ही 'यंग इंडिया' में स्थान मिलेगा, मेरा इसे छापनेका विचार है जिससे जिन लोगोंकी इस दिशामें जरा भी रुचि हो, वे इस मामलेको हाथमें ले लें।

मुझे विटामिनोंके सम्बन्धमें बड़ा ग्रन्थ नहीं मिला। मुझे 'फूड ऐंड हैल्थ' नामक पुस्तक मिली है। परन्तु वह पुस्तक भी विटामिनोंके सम्बन्धमें काफी सूचना देती है। में डॉ० कैलॉगके लेखोंको जानता हूँ। मैंने उनकी पुस्तक पढ़ी है। और यदि यह मेरी अन्य पुस्तकोंकी तरह खो नहीं गई है तो, अवश्य ही आश्रमके पुस्तकालयमें होगी। बहरहाल ऐसा मालूम देता है कि आप डॉ० केलॉगको निजी तौरपर जानते हैं । में इसकी प्रतीक्षा करूँगा कि वे क्या कहते हैं। क्या आपने सारा मामला उनके सामने रखा है ? और उनसे पूछा है कि क्या वे रोगियोंके लिए दूधकी जगह कोई गुणकारी शाकाहारी चीज बता सकते हैं ?

हृदयसे आपका,

श्री आर० बी० ग्रेग
कोटगढ़, शिमला हिल्स
अंग्रेजी (एस० एन; १४१३२) की फोटो-नकलसे ।

४०५. पत्र : टी० एन० शर्माको

नन्दी हिल्स
२९ मई, १९२७

प्रिय शर्मा,

मुझे कलकत्तामें आपसे हुई भेंट और अपने आश्रमके सम्बन्धमें आपने जो बातचीत की थी, उसकी याद है । मुझे बड़ा दुःख है कि आपकी पत्नी बीमार है। मैं कुछ ही दिनों में इस पहाड़ीसे नीचे उतर आऊँगा और इलाज पूरा करनेके लिए नीचे बंगलोर चला जाऊँगा। मेरे बंगलोरमें रहते हुए आप जब चाहें जरूर आयें। तब हम आपसमें बातचीत करेंगे । हनुमन्तरावके सम्बन्धमें आपने जो कुछ कहा, वह सब सही है। वे पुरुषोंमें एक रत्न थे । हम आत्मत्याग, अपने आपको मिटा देना, सत्यप्रेम, अहिंसा एवं कर्त्तव्य- परायणतामें दत्तचित्त होकर उनका अनुसरण कर उन्हें अपने बीचमें बनाये रखें।

हृदयसे आपका,

श्रीयुत टी० एन० शर्मा

१९९, ईस्ट पार्क रोड
मालेश्वरम

बंगलोर शहर
अंग्रेजी (एस० एन० १४१३३) की फोटो-नकलसे ।