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पत्र : आश्रमकी बहनोंको


मुझे मालूम है कि कितने ही मित्रोंने मेरे स्वास्थ्यलाभके लिए प्रार्थनाएँ की है। जाने अनजाने मित्रोंकी सारी प्रार्थनाओंके उत्तरमें मेरी यही प्रार्थना रही है कि ईश्वर यदि मुझे बचा ले तो मुझे उन प्रेमयुक्त प्रार्थनाओंके योग्य बनाये । मेरी सेहत ठीक प्रकारसे सुधर रही है।

हृदयसे आपका,

श्री के० टी० पॉल

थोट्टम

सेलम
अंग्रेजी (एस० एन० १४१३५) की फोटो-नकलसे ।

४०८. पत्र : आश्रमकी बहनोंको

नन्दी
वैशाख बदी [ १४, २९ मई, १९२७][१]

बहनो,
इस सप्ताह तुम्हारा पत्र नहीं मिला ।
क्या तुम्हें मीराबहनका पत्र भी कभी मिलता है ? उनके पत्रोंसे पता चलता

है कि वे न केवल स्त्रियोंमें बल्कि पुरुषोंके बीच भी खूब काम कर रही हैं। उनके पत्रमें एक ऐसी बात है जो मैं तुम्हें भी बता देना चाहता हूँ। वे लिखती हैं कि जिन बहनोंसे वे मिलती हैं, सभी बहुत भली दिखाई देती हैं किन्तु उनमें घोर अज्ञान है। बहुत ही सीधी-सादी और सहज बातोंका ज्ञान भी उन बहनोंको नहीं है। चरखेके सम्बन्धमें बात करनेपर तो वे भौचक्की रह जाती हैं और गरीबोंकी खातिर चरखा कातनेकी बात उनकी समझमें ही नहीं आती। उनके लिए धर्मका अर्थ है देवदर्शन । सेवा क्या है, इसके सम्बन्धमें वे शायद ही कुछ जानती हैं। उपर्युक्त चित्र में कुछ बातें जो ऐसी हो सकती हैं जिनका कारण यह हो कि मीराबहन पूरी बात समझीं नहीं। किन्तु स्त्रियों में फैले हुए अज्ञानको तो हम सभी जानते हैं। और हम यह भी जानते हैं कि इसका मुख्य कारण पुरुष हैं। इस अज्ञानको दूर करनेका एकमात्र उपाय तो यही है न कि स्त्रियाँ स्वयं चेतें ? और इसका उत्तरदायित्व तुमपर है। तुम सभी बहन अपनेको यथाशक्ति इस कामके लिए तैयार करो ।

बापूके आशीर्वाद

गुजराती (जी० एन० ३६५१) की फोटो-नकलसे ।
  1. साधन-सूत्रमें वैशाख वदी १३ है जो क्षयतिथि थी ।