दे सकता हूँ कि यदि आपको निजी प्रयास एवं संघर्षसे सन्तोष न हो, तो आप अपने मनमें गुरुकी कल्पना कर सकते हैं। परन्तु वह गुरु में स्वयं सचेतन रूपमें नहीं होऊँगा। क्योंकि जैसी आशा सच्चे गुरुसे की जा सकती है, मैं आपको सही निर्देशन देनेमें नितान्त असमर्थ होऊँगा । आप काल्पनिक चित्रसे जितनी सान्त्वना प्राप्त कर सकें, कर लें। मुझे खेद है कि मैं आपको इससे अधिक और किसी तरहकी सान्त्वना नहीं दे सकता। बहरहाल सर्वोत्तम कार्य, जो कोई भी व्यक्ति कर सकता है, यह है कि ईश्वरके सामने नतमस्तक हो जाये और अपेक्षित निर्देशनके लिए ईश्वरसे प्रार्थना करे। ईश्वर प्रकाश एवं शान्तिका एकमात्र स्रोत है।
हृदयसे आपका,
बार्न्स जंकशन
- अंग्रेजी (एस० एन० १४१३७) की फोटो-नकलसे ।
४१६. एक पत्र
नन्दी हिल्स
३१ मई, १९२७
प्रिय महोदय,
इसी मासकी २१ तारीखका आपका पत्र मिला। मुझे आशंका है कि व्यापारके सम्बन्धमें आपकी और मेरी धारणाओंमें जमीन-आसमानका ऐसा अन्तर प्रतीत होता है कि अभी इस समय कोई बीचका रास्ता नहीं खोजा जा सकता; और यों भी मुझे लगता है कि आखिरकार हमारे डिपो आपके किसी उपयोग में नहीं आ सकते।
आपका विश्वस्त,
मो० क० गांधी
अंग्रेजी (एस० एन० १४१३८) की फोटो-नकलसे।