पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 33.pdf/४७६

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४१९. पत्र : वी० एस० श्रीनिवास शास्त्रीको

नन्दी हिल्स
१ जून, १९२७

प्रिय बन्धु,

आप कुछ ही दिनोंमें समुद्री यात्रा करेंगे और इस महीनेके अन्ततक दक्षिण आफ्रिका पहुँच जायेंगे। उस उप-महाद्वीपमें आप जितनी भी देर ठहरेंगे, मेरा ध्यान आपकी तरफ रहेगा और मेरी प्रार्थनाएँ आपके साथ होंगी। यह नियुक्ति मेरे लिये अपूर्व घटना है। मैं एक शब्द भी और नहीं कहूँगा । ईश्वर आपको सुरक्षित एवं सुखी रखे ।

जब कभी सम्भव हो मुझे एक आध पंक्ति अवश्य लिख दिया कीजिएगा | मुझे आशा है कि वह महत्त्वपूर्ण पत्र [१] आपको मिल गया होगा, जो मैंने जब हम पिछली बार मिले थे, उसके तुरन्त बाद मद्रासके पतेपर भेजा था ।

हृदयसे आपका,

परम माननीय वी० एस० श्रीनिवास शास्त्री

सवेंट्स ऑफ इंडिया सोसाइटी
सैंडहर्स्ट स्ट्रीट, गिरगाँव

बम्बई
अंग्रेजी (एस० एन० १२३५६) की फोटो-नकलसे ।

४२०. पत्र: एच० हरकोर्टको

नन्दी हिल्स
१ जून, १९२७

प्रिय मित्र,

आपका १ मईका पत्र मिला, जिसके लिए मैं आपको धन्यवाद देता हूँ। मैंने जो चुनौती दी थी, उसकी शर्तें या आपने चुनौतीका जो उत्तर दिया था [२] उसकी मुझे कोई याद नहीं है। और इस समय विशेषकर जब कि मैं आश्रमसे बहुत दूर यहाँ स्वास्थ्य लाभ कर रहा हूँ, १९२१-२२ के कागजात देखकर अपनी याददाश्त से

चुनौतीकी शर्तोंको फिर याद कर पाना बहुत कठिन है।

  1. देखिए “ पत्र: वी० एस० श्रीनिवास शास्त्रीको ", १५-५-१९२७ ।
  2. हरकोर्टने अपने पत्र में कहा था कि गांधीजी द्वारा सरकारको दी गई चुनौतीका उत्तर उन्होंने (हरकोर्टने) एक टिप्पणीमें दिया था।