पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 33.pdf/४८२

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।
४४४
सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

इसलिए मैं तो यही कह सकता हूँ कि आप अपने प्रयत्न एक क्षणके लिए भी छोड़ें नहीं। परमात्माका दर्शन ही परम पुरुषार्थ है। इसलिए इस दुनियामें जिन-जिन वस्तुओंकी प्राप्तिके लिए जितने प्रयत्न मनुष्य इच्छापूर्वक करता है उन सारी वस्तुओंके लिए किये जानेवाले इन सब प्रयत्नोंका जोड़ लगाइए और समझिए कि इन प्रयत्नोंके योगफलसे अगणित गुना प्रयत्न इस दर्शनके लिए हमें करना है। इतना प्रयत्न करनेके बाद भी यदि दर्शन न हो तब जरूर किसीसे पूछनेका सवाल उठता है, तब भले अश्रद्धाके लिए अवकाश हो सकता है। किन्तु जबतक हम उतना प्रयत्न नहीं करते तबतक न तो हम श्रद्धाका त्याग कर सकते हैं और न प्रयत्नका ।

मनसुखलालका जो उदाहरण आपने दिया वह यहाँ अप्रस्तुत है। मनसुखलालके पास शास्त्रका ज्ञान बहुत था, वे प्रयत्नशील भी थे, किन्तु वे वासना रहित नहीं हो सके थे । वासना रहित होनेका दावा भी वे नहीं करते थे। इसलिए यदि उन्हें अन्तमें तरबूज- जैसी चीजकी इच्छा हुई तो, इसके कारण न तो हमें निराश होनेकी आवश्यकता है और न इसके कारण मनसुखलालकी निन्दा करनी चाहिए। इस कठिन काल और कठिन संसारमें पड़े-पड़े हमें यह मानकर अपनेको धोखा नहीं देना चाहिए कि चलो हम जल्दी-जल्दी वासनाशून्य हो जायें और जिन्हें हम अच्छा मानते हैं उनसे हमें ऐसी आशा भी नहीं रखनी चाहिए। क्योंकि यदि हम ऐसी आशा रखते हैं तो इससे उलटा अनुभव होनेपर हमें आघात पहुँचता है या फिर उनकी सज्जनताके विषयमें हमारे मनमें शंका उत्पन्न होती है। यह याद रखना चाहिए कि आत्माकी शक्तिकी कोई सीमा नहीं है। जिसकी वासनाओंका सम्पूर्ण क्षय हो गया है उसे तो लगभग परमात्मपदको प्राप्त हुआ कहा जा सकता है । हमारे सम्पर्कमें आनेवाले किसी सज्जन मनुष्यमें इतनी योग्यता आ गई है, ऐसा मानकर हम अपने पैमानेके द्वारा परमात्माके पैमानेको छोटा न करें। परमात्माके विशाल पैमानेके प्रथम चिह्नपर भी यदि हम किसी मनुष्यको पहुँचा हुआ देखें तो हमें खुशी होनी चाहिए और यह देखकर कि कोई-कोई मनुष्य तो उसके पैमानेके पहले चिह्नतक पहुँच सकता है, हम सबको समझना चाहिए कि यदि हम परिश्रम करें तो आगेके चिह्नोंतक भी पहुँच सकते हैं और ऐसी आशा रखकर हमें अपने प्रयत्नमें निरन्तर संलग्न रहना चाहिए ।

[ गुजरातीसे ]
महादेव देसाईकी हस्तलिखित डायरीसे ।
सौजन्य : नारायण देसाई