पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 33.pdf/४९९

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।
४६१
पत्र : एस० डी० नादकर्णीको


सतीशबाबूका पत्र प्रचारित कर दिया जाये। उनके आग्रह करनेसे ऐसा जाहिर होता है कि परिषद की यथासम्भव शीघ्र बैठक करने की जरूरत है।

आपका विश्वस्त,

अंग्रेजी (एस० एन० १९७७९) की माइक्रोफिल्मसे ।

४३९. पत्र : वी० एस० श्रीनिवास शास्त्रीको

नन्दी हिल्स
४ जून, १९२७

मेरे प्यारे भाई,

'क्रॉनिकल' ने जो असंयत उद्गार आपतक और आपने मुझतक पहुँचाए हैं, उनसे मुझपर कोई असर नहीं पड़ता है। निश्चय ही आप यह आशा नहीं रखते कि रास्ता पूरी तरह शान्तिपूर्वक तय हो जायेगा । ऐसे नगण्य विरोध तो सामने आते ही रहेंगे। लेकिन मैं जानता हूँ कि आप उनसे विचलित नहीं होंगे। आपको भारतीय जनताके एक बहुत बड़े बहुमतका ठोस समर्थन प्राप्त होगा ।

दो तीन दिन पहले मैंने आपको एक छोटा-सा पत्र [१]भेजा था। आशा है कि वह आपको यथासमय मिल गया होगा। ईश्वर आपका मार्ग-निर्देश करे।

हृदयसे आपका,

अंग्रेजी (एस० एन० १२३५८) को फोटो-नकलसे ।

४४०. पत्र : एस० डी० नादकर्णीको[२]

नन्दी हिल्स
४ जून, १९२७

प्रिय मित्र,

मुझे खुशी है कि आप तथाकथित अस्पृश्योंके लिए एक स्थानीय सार्वजनिक मन्दिरके [३]प्रवेशद्वार खुलवानेके लिए मित्रोंको राजीकर रहे हैं। मैं आशा करता हूँ कि सोचे हुए प्रस्तावको आगामी बैठक सर्वसम्मतिसे पासकर देगी और यदि बैठकमें लोग उसे पासकर देंगे, तो वे लोग इतने दिनोंसे दबाकर रखे हुए लोगोंके प्रति

  1. देखिए “ पत्र: वी० एस० श्रीनिवास शास्त्रीको ", १-६-१९२७।
  2. कारवारके कार्यकर्ताओंकी तरफसे गांधीजीको अस्पृश्यों और मन्दिर प्रवेशके प्रश्नपर राय लेनेके लिए लिखे एक पत्रके जवाब में।
  3. विठोबा मन्दिरके नामसे विख्यात ।