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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

सस्वर हो और वह परमात्माको - अगर हमारी प्रार्थनाओंको सुननेवाला परमात्मा कहीं हो तो -- प्रसन्न कर सके। एक शर्त और है। आप जानते ही हैं कि पतित- पावन सीतारामका क्या अर्थ है । इन शब्दों द्वारा हम उस परमात्मासे विनय करते हैं, जो पतित और दलितोंका उद्धारक है। इसलिए मैं आपसे कहना चाहता हूँ कि आप यहाँ खादी पहनकर आयें, क्योंकि खादी पहनने से आपका उन पतित और दलित भाइयोंसे एक सम्बन्ध जुड़ जाता है। उनकी सहायता करनेकी आपकी इच्छाके प्रत्यक्ष चिह्न स्वरूप में आप सब आबाल-वृद्धसे- सभी मतावलम्बियोंसे कहता हूँ कि आप यहाँ खादी पहन कर आयें ।

रघुपति राघव राजाराम
पतित पावन सीताराम

प्रार्थनाकी इस धुनको गाने के योग्य बननेके लिए आप कमसे-कम जो कुछ कर सकते हैं, वह यही है कि आप लोग खादी पहनकर आयें। यह ऐसी प्रार्थना है जिसमें न केवल हिन्दू वरन् मुसलमान, ईसाई आदि सब लोग शामिल हो सकते हैं, क्योंकि यह किसी राजाकी प्रार्थना नहीं, राजाधिराजकी-- देवाधिदेव की प्रार्थना है जिसकी हम सब पूजा करते हैं ।

[ अंग्रेजीसे ]
यंग इंडिया, १६-६-१९२७

४५२. तार : मीराबहनको[१]

तार मिला । जमनालालजी की सलाह हो तो,वालुंजकर व गंगू के साथ साथ साबरमती जानेका सुझाव तुम्हें नियमित रूपसे अंग्रेजी (सी० डब्ल्यू० ५२३५) से । सौजन्य : मीराबहन ६ [ जून, १९२७] हो, तो वालुंजकर व गंगू के हूँ ] | अन्य व्यवस्था होनेतक पढ़ायें । सस्नेह । सलाह [ देता बापू २. देखिए अगला पत्र |

  1. मीराबइनके तारके जवाबमें जो इस प्रकार था: "३ जूनको पत्र लिखा था। जिसमें अरुचिकर बातोंके प्रकाश में आनेके कारण आपने आश्रम त्यागकी बातका विचार लिखा था। उसके बाद जल्दी-जल्दी घटनाओंने मोड़ लिया। जो बातें सामने आई वे तारसे जमनालालजीको लिखी और उन्हें तुरन्त आकर स्थितिकी जांच पड़ताल करनेको सिफारिश की। उनके आनेतक इन्तजार करूंगी; उसके बाद यदि मुनासिब हुआ तो मैं तुरन्त यहां से चल दूंगी। कृपया तारसे सलाह दोजिए कि कहीं जाऊँ। सब ठीक। सस्नेह ।”