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४५६. सन्देश : श्रीनिवास शास्त्रीके स्वागतमें'[१]

नन्दी हिल्स
७ जून, १९२७

मैं कामना करता हूँ कि आपकी सभाको सब तरहकी सफलता मिले। परम माननीय श्रीनिवास शास्त्री अपने कठिन कामकी शुरुआत सबसे अच्छे लोगोंके तत्वावधान में कर रहे हैं। उनके साथ समस्त भारतकी सद्भावना है और दक्षिण आफ्रिकामें यूरोपीय लोग तथा हमारे देशभाई दोनों ही उनके कामसे आशा लगा रहे हैं। मैं जानता हूँ कि यदि कोई भी व्यक्ति यूरोपीयों और भारतीय प्रवासियोंमें परस्पर सद्भाव पैदा कर सकता है, तो निश्चय वे श्रीयुत श्रीनिवास शास्त्री हैं। ईश्वर उन्हें वह सब शक्ति और विवेक दे जिसकी दक्षिण आफ्रिकामें उन्हें जरूरत होगी।

[ अंग्रेजीसे ]
बॉम्बे क्रॉनिकल, ८-६-१९२७

४५७. पत्र : फीरोज पी० एस० तलियारखाँको

कुमार पार्क
बंगलोर
७ जून, १९२७

प्रिय मित्र,

आपका पत्र पाकर मुझे खुशी हुई। मैं यहाँ रविवारको नीचे आ गया हूँ । कृपया आप सोमवारके अलावा, जिस दिन में मौन रहता हूँ, किसी दिन भी चाहें आइये । मेरे लिए ४ बजेका समय सबसे अच्छा रहेगा। आशा है कि आप पहलेसे अच्छा महसूस कर रहे होंगे।

हृदयसे आपका, मो० क० गांधी

फीरोज पी० एस० तलियारखाँ

३, रेजिडेन्सी रोड

बंगलोर
अंग्रेजी (सी० डब्ल्यू० ९१७०) से ।
  1. १. यह सन्देश इस तारीखको श्रीमती सरोजिनी नायडूकी अध्यक्षता में बम्बईके सर कासवजी जहाँगीर हॉलमें हुई एक आम सभामें पढ़ा गया था।