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४५९. एक पत्र

[८ जून, १९२७ से पूर्व ][१]

तुम्हारा प्रेम पवित्र नहीं है। वह स्त्री विवाहिता है । यदि तुम किसी भी तरह उसकी और उसके पतिकी सेवा करना चाहते हो, तो तुम्हें उस महिलासे हर प्रकारका सम्बन्ध तोड़ देना चाहिए। ऐसा करनेके लिए यदि तुम्हें भड़ौंच भी छोड़ना पड़े तो छोड़ दो। यह तुम्हारा धर्म है । इस समय प्रेमके नामपर जगह-जगह जो अधर्म चल रहा है उससे तुम बचो तो यह बहादुरीका काम माना जायेगा ।

[ गुजरातीसे ]
महादेव देसाईकी हस्तलिखित डायरीसे ।
सौजन्य : नारायण देसाई

४६०. तार : सत्याग्रहाश्रमको

सत्याग्रहाश्रम
साबरमती

जमनालालजीको बताइए कि मीराबहनने तारसे सूचित किया है कि महाराज और अन्य लोग काश्मीर भाग गये हैं । फिर भी वे जायें और इस बातको नजरअन्दाज करते हुए कि प्रमुख लोग वहाँ उपस्थित नहीं हैं, वैर्यपूर्वक मामलोंकी जाँच-पड़ताल करें। उन्हें विस्तारसे रिवाड़ीके पतेपर लिख रहा हूँ। यदि जमनालालजी जा चुके हों, तो यह तार डाकसे भेज दें। यही सब फिर तार से सूचित करनेकी जरूरत नहीं है।

अंग्रेजी (सी० डब्ल्यू० ५२३२) से ।
सौजन्य : मीराबहन
  1. साधन-सूत्र में यह आठ तारीखको लिखे गये पत्रोंसे पहले दिया गया है। बापू