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४६१. पत्र: जमनालाल बजाजको

सुदी ९ [८ जून, १९२७][१]

चि० जमनालाल,

तुम्हारा तार मिला । तुम्हें भेजा तार आश्रम में मिला होगा । मीरा बहनने [भांगके ] पानीकी घटनाके बारेमें जो लिख भेजा है वह भयानक है । वह सब तो तुमने मालूम कर ही लिया होगा। अतः मैं अब भविष्य के लिए ही सुझाव भेज रहा हूँ। महाराजजी आदि चले गये हैं, तो भी तुम्हें जो जाँच-पड़ताल करनी है सो अच्छी तरह कर लेना । इस घटनासे सम्बन्धित जो भी तथ्य प्रकाशमें आयें उनके 'बारेमें कुछ तो लिखना ही पड़ेगा। माँ-बापको चेतावनी दी जानी चाहिए। लोगोंको भी चेतावनी दी जानी चाहिए। वहाँ रहनेवाले स्त्री और पुरुष निर्दोष हों और थोड़े समझदार हों तो उन्हें वहाँसे जानेके लिए कहना चाहिए। वहाँके निर्दोष निवासियोंको सहायता देनेके लिए मीराबहनको कुछ समय रोकना हो तो रोक लेना । तुम्हें वहाँ ज्यादा समय रुकने की जरूरत नहीं होनी चाहिए। यदि मीराबहनको वहाँसे जाना पड़ता है, तो फिलहाल यह ठीक रहेगा कि वालुंजकर और गंगूबहन उसके साथ रहें। गंगू बहनने मीराबहनका साथ ठीक पकड़ा मालूम होता है। लगता है कि गंगूबहन उससे बहुत सीख सकेगी। इस समय प्रश्न यह है कि ये लोग कहाँ जायें ? यदि गंगूबहनको उसके पास न रहना हो तो मीराबहन तो कुछ समयके लिए मेरे पास आकर रहना चाहेगी। इससे उसे ज्यादा शान्ति मिलेगी और वह कुछ अपना अध्ययन भी कर सकेगी। किन्तु यदि तुम्हें लगता हो कि गंगूबहन वगैरा उसके साथ ही रहें तो इसके लिए इस समय मुझे साबरमती या वर्धा ही उपयुक्त मालूम होते हैं। तुम्हें कुछ विशेष सूझे तो विचार कर लेना । मेरी तबीयत सुधरती जा रही है।

गुजराती (एस० एन० १०६०५) की फोटो-नकलसे ।

१. २. अगले शीर्ष कसे ३. देखिए पिछला शीर्षक। ४. देखिए "पत्र : मीराबहनको ”, २३-५-१९२७ और ३-६-१९२७ । Gandhi Heritage Portal

  1. तारीख अस्पष्ट है।>