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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

आप मजदूरोंके बारेमें और कांग्रेसके सम्बन्धमें जो भी कुछ कहते हैं, उस सबका मैं अनुमोदन करता हूँ। यदि मजदूरोंका संगठन ठीक तरहसे किया जाये और राज- नैतिक उद्देश्योंके लिए उनका उपयोग न किया जाये, तो इस प्रवृत्तिको अपने हाथमें लेना कांग्रेसके लिए बहुत वांछनीय होगा। और मेरा खयाल है कि राजेन्द्रबाबूकी सम्मति भी इससे अधिक कुछ और करनेकी नहीं है। लेकिन अभी इस वक्त कांग्रेसमें हमारे पास उस तरहके आदमी नहीं हैं, जैसे आदमियोंकी एक ठोस संगठनके लिए जरूरत होती है। यह चीज अभी चर्चाके रूपमें ही है।

आशा है कि मैंने भोजन तथा स्वास्थ्यपर जो पुस्तक आपके पास भेजी है, मिल गई होगी। मैं पिछले इतवारको नीचे बंगलोर उतर आया और अब बेहतर महसूस कर रहा हूँ। मैं भोजन भी पहलेसे ज्यादा खाता हूँ। मेरा दौरा मैसूरसे शुरू होगा और वहींपर करीब एक पखवाड़ा लग जायेगा । मैसूर ३,००० फुट ऊँचा एक बड़ा पठार है, इसलिए पूरे मैसूरमें जलवायु बहुत ही मातदिल है ।

आपका,
बापू

अंग्रेजी (जी० एन० १५७३) की फोटो-नकलसे ।

४७७. पत्र : एम० के० सहस्रबुद्धेको

कुमार पार्क
बंगलोर
९ जून, १९२७

प्रिय सहस्रबुद्धे,

साबरमतीके पतेपर भेजा गया तुम्हारा कार्ड पता बदलकर मेरे पास भेजा गया और मुझे कल ही मिला है। मुझे तुम्हारी खूब याद है और मैं जब अलीबागमें था तब मैंने नर्मदासे तुम्हारे बारेमें बात भी की थी। लेकिन मुझे ऐसा याद नहीं पड़ता कि मैंने किसीको यह सुझाव दिया हो कि तुम्हें अपनी पढ़ाई छोड़ देनी चाहिए और साबरमती आश्रम में दाखिल हो जाना चाहिए। मुझे नहीं मालूम कि नर्मदा या किसी दूसरेने यह निष्कर्ष कैसे निकाल लिया कि मैं चाहता हूँ कि तुम अपनी पढ़ाई छोड़ दो। लेकिन अब चूँकि तुमने मुझे पत्र लिख ही दिया है, मैं नहीं चाहता था कि तुम मुझे लिखो, तो फिर यह भी लिखो कि अभी इस वक्त तुम क्या पढ़ रहे हो और अपनी पढ़ाई समाप्त हो जानेके बाद तुम्हारा क्या करनेका इरादा है ताकि मैं तुम्हारे विषयमें और अच्छी तरह जान सकूँ ।

हृदयसे तुम्हारा,

श्री एम० के० सहस्रबुद्धे
कालम्बा रोड, अलीबाग, (जिला कोलाबा)
अंग्रेजी (एस० एन० १४१४८) की माइक्रोफिल्मसे ।