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४७८. पत्र : वसुमती पण्डित को
कुमार पार्क
बंगलोर सिटी
ज्येष्ठ सुदी १० [९ जून, १९२७ ]
चि० वसुमती,
तुम्हारा दूसरा सुन्दर पत्र मिला। डायरी लिखनेका प्रयोग सफल हो गया । अभी रामदासके आनेका तो कुछ पता नहीं है। उसके पत्र आते रहते हैं, किन्तु यहाँ आनेके बारेमें वह कुछ नहीं लिखता। मैं रविवारको ही बंगलोर आ गया था। नन्दीकी तुलना में यहाँ गर्मी है, पर मेरी तबीयतके लिए डाक्टर उसे अनुकूल मानते हैं। कमसे-कम एक महीना तो यहाँ रहूँगा। बादमें थोड़ा-थोड़ा आसपासके प्रदेशका भ्रमण करूंगा। अभी तो यही आशा है ।
बापूके आशीर्वाद
गुजराती (एस० एन० ९३४४) की फोटो-नकलसे ।
४७९. तार : मीराबहनको
११ जून, १९२७
मीराबहन
सत्याग्रहाश्रम
यदि तुम जरा भी उद्विग्न हो, तो तुम्हें चले आना चाहिए। सस्नेह ।
बापू
- अंग्रेजी (सी० डब्ल्यू० ५२३८) की नकलसे ।
- सौजन्य : मीराबहन
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