पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 33.pdf/५७

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।

 

१६. भाषण: बेगुसरायकी सार्वजनिक सभामें[१]

२६ जनवरी, १९२७

महात्माजीने तीनों मानपत्रोंका एक साथ उत्तर देते हुए मानपत्र भेंट करनेके लिए तीनों संस्थाओं को धन्यवाद दिया। उन्होंने उनसे इसपर सहमति प्रकट की कि भारत एक बड़े ही कठिन और संकटमय दौरसे गुजर रहा है। उन्होंने कहा कि वह देश जहाँ हजारों लोग काम न मिलने की वजहसे भूखों मर रहे हों, निश्चित ही विनाशोन्मुख है। परन्तु अपने देशकी इस दुर्दशाके लिए अधिक सीमातक तो लोग स्वयं जिम्मेदार हैं। शास्त्रों में लिखा है कि आदमी जैसा बोता है, वैसा काटता है। जबतक भारतके भूखे लोगोंको भोजन देनेके कारगर प्रयत्न नहीं किये जाते, तबतक भारतकी दशा नहीं बदलेगी। जन समुदायकी उपेक्षा करके ही आपने देशकी यह दुर्दशा की है और यदि आप गौरवपूर्ण पुरातन युगको फिरसे लाने का प्रयत्न करना चाहते हैं तो आपको जनसमुदायकी अवस्थामें सुधार करना ही चाहिए।

आगे बोलते हुए उन्होंने कहा कि देशके शिक्षित वर्गका प्रथम कर्तव्य है कि वह अपने आपको जनसमुदायका अभिन्न अंग समझे और उसके साथ घनिष्ठ सम्बन्ध स्थापित करे। शिक्षित वर्गने जनसमुदायकी उपेक्षा की है और उसके साधनोंका अपने स्वार्थके लिए उपयोग किया है। शिक्षित वर्गने अबतक गरीब खेतिहरोंकी मेहनतसे कमाये धनपर अपना जीवन निर्वाह किया है। अब शिक्षित लोगोंको अपने इन सब पापोंका प्रायश्चित्त करना चाहिए। यदि वे वास्तवमें धर्म-राज्यकी स्थापना करना चाहते हैं, तो उन्हें उन गरीब लोगोंकी सेवा करनी चाहिए, जिन्होंने अबतक उनकी सेवा की है। उन्हें अपनी सारी जीवन-पद्धति और दृष्टिकोण बदल लेना चाहिए और चीजोंको सही रूपमें देखना चाहिए। शायद सभी शिक्षित लोग उतना महान त्याग न कर सकें जितना इस कार्यके लिए अपेक्षित है; तो भी वे सब अपने कर्त्तव्यका पालन कर सकें इसी दृष्टिसे मैंने एक सरल धर्म सामने रखा है और वह धर्म है चरखा। भारतकी गरीबी चरखके खत्म होनेके साथ शुरू हुई और जैसे-जैसे समय गुजरता जा रहा है वह बढ़ती जा रही है। यह स्वतः सिद्ध सत्य है कि चरखके पुनरुद्धारसे भारतके प्राचीन गौरवका पुनरुत्थान होगा। उन्होंने जोरदार शब्दोंमें घोषणा की कि चरखा ऐसी वस्तु है जिसको सब जगह प्रयोगमें लाया जा सकता है और जिससे हजारों बेकार पुरुषों और स्त्रियोंको काम मिल सकता है। उन्होंने इस बातपर दुःख प्रकट किया कि जहाँ खादीने देशके अन्य भागों में बहुत अधिक उन्नतिकी है,

  1. यह भाषण स्थानीय बोर्ड, गोशाला और जनता द्वारा दिये गये तीन मानपत्रोंके उत्तर में दिया गया था। सभी मानपत्र हिन्दीमें थे और खद्दरपर छपे थे।