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२३. भाषण: पटनामें, खादी प्रदर्शनीके उद्घाटनपर

३० जनवरी, १९२७

महात्मा गांधीने प्रदर्शनीका[१] उद्घाटन करते हुए कहा कि बड़े खेदका विषय है कि खादी-प्रदर्शनीके आयोजनकी आवश्यकता महसूस की गई। यह कदापि बधाई देनेका विषय नहीं है, क्योंकि आम तौरपर प्रदर्शनियाँ ऐसी वस्तुओंकी लगाई जाती हैं, जो लोकप्रिय न हों। आम किस्मके चावल अथवा गेहूँ या विदेशी तथा मिलमें बने कपड़ेकी प्रदर्शनी लगानेकी कभी आवश्यकता अनुभव नहीं की गई। क्योंकि देशका कोई भी कोना ऐसा नहीं होगा, जहाँ ये वस्तुएँ पर्याप्त मात्रामें उपलब्ध न हों। आयात किये हुए विदेशी कपड़े अथवा मिलमें बने हुए देशी कपड़ेमें कोई विशेष अन्तर नहीं है। मेरी नजरोंमें दोनों ही बराबर हैं। क्योंकि दोनों ही दशाओंमें पैसेका बहुत बड़ा भाग अमीर एवं बड़े-बड़े मिल-मालिकोंके पास चला जाता है। गरीब मजदूरोंको बहुत ही कम, वस्तुतः बहुत ही थोड़ा पैसा मिलता है। जब मैंने खद्दरका काम शुरू किया था तो अहमदाबादके बहुतसे मिल-मालिकोंने, जिनमेंसे बहुतोंको मैं अपना मित्र समझता था, कहा कि यह सब व्यर्थ है। उससे आपकी इच्छाके विपरीत लोगोंके बजाय हम मिल-मालिकोंको बहुत अधिक लाभ होगा, क्योंकि खादी कभी हमारा मुकाबला नहीं कर सकेगी। मिल मालिकोंने सचमुच ही प्रतियोगितामें खादीको खत्म करनेके लिए कपासके बचे हुए कचरेसे एक नई किस्म का कपड़ा तैयार कर दिखाया। इन मिल-मालिकोंने ही अपने कपड़ेकी कीमतें बढ़ाकर और इसके अलावा बहुधा विदेशी उत्पादनको स्वदेशीके नामपर धोखेसे लोगोंके गले मढ़ कर बंगालमें स्वदेशीको खत्म कर दिया। उन्होंने मुझे इस बातकी याद दिलाई और ठीक हो दिलाई कि उनके मिल उद्योगका आधार देश-भक्ति अथवा जनताके प्रति प्रेम नहीं है; वरन् वह उनके लिए केवल व्यापार और उद्यमके रूपमें ही है; और उसका उद्देश्य अपने हिस्सेदारोंको ज्यादासे-ज्यादा लाभांश देना है। परन्तु जब बादमें उन्हें पता चला कि स्वदेशी आन्दोलनके दिनोंमें जो कुछ किये जानेको कोशिश की जा रही थी, मैं उससे बिलकुल भिन्न दिशामें प्रयत्न कर रहा हूँ तो वे मेरे प्रयासोंकी सराहना करने लगे। आगे बोलते हुए गांधीजीने लोगोंसे आग्रह करते हुए कहा कि आप विदेशी अथवा मिलमें बने हुए कपड़ेको उपयोगमें न लायें। यह आपका धर्म है कि आप खावी, केवल खादी ही खरीदें। जैसे केवल पचास वर्ष पूर्व आपके वस्त्र केवल गाँवोंमें बनते थे उसी तरह अब फिर होना चाहिए। मैं चरखा, हाथ-कताई और हाथ-बुनाईके उन्हीं पुराने खुशहाल दिनोंको फिरसे

  1. अखिल भारतीय चरखा संघकी बिहार-शाखा द्वारा श्रीमती राधिका सिन्हा इन्स्टीटयूट हॉलमें आयोजित।
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