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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

  बिस्कुटोंके मुकाबलेमें वह घटिया है। मुझे ऐसी आशा नहीं है। गांधीजीने प्रो॰ एस॰ वी॰ पुणताम्बेकर एवं श्रीयुत वरदाचारी द्वारा लिखित पुरस्कृत "हाथ कताई और हाथ बुनाई" नामक निबन्धको ध्यानपूर्वक पढ़नेकी सलाह दी। उन्होंने भाषण समाप्त करते हुए सभी लोगोंसे, विशेषकर शिक्षित और धनी लोगोंसे हार्दिक अपील की कि वे चरखा और खादीको अपनाकर देशमें उसके लिए वातावरण बनायें और कहा कि यदि एक बार ऐसा हो जाये तो उस प्रकारकी प्रदर्शनी, जिसका मैं इस शामको उद्घाटन करने जा रहा हूँ, फिर कभी लगानेकी कोई आवश्यकता नहीं होगी। आप गाँवोंमें बसनेवाले उन गरीब लोगोंके लिए कुछ करें जिनकी कीमतपर आप कस्बों और शहरोंमें चिरकालसे फलफूल रहे हैं? यह आपके योग्य काम है।

[अंग्रेजीसे]
सर्चलाइट, २-२-१९२७

२४. पत्र: मीराबहनको

३१ जनवरी, १९२७

चि॰ मीरा,

तुम्हारे सभी पत्र मुझे समयपर मिल गये हैं। डाककी व्यवस्था बहुत ही अच्छी है। इस लगातार सफरके बावजूद कोई पत्र इधर-उधर नहीं हुआ है।

हम आज रातको बिहार छोड़ रहे हैं। इसका दुःख न हो, यह बात नहीं है। बिहारका मेरे लिए एक अपना अलग आकर्षण है।

मैं संक्षिप्त पत्र ही लिखूँगा, क्योंकि जितना समय मेरे पास है, उसमें मुझे बहुत लिखना है।

वहाँके प्रमुख मित्रोंको जमा करके तुम नीचे लिखा व्रत ले सकती हो, ताकि वे घबरायें नहीं। केवल तीन बार ही खाना खाओ और आखिरी खाना शामके सात बजेके बाद नहीं होना चाहिए। भाखरीपर[१] घी न चुपड़ा जाये। सब्जी नमक सहित या नमकके बिना साधारण उबली हुई हो। दूध बिना चीनीका हो, एक बारमें दो से ज्यादा सब्जियाँ न हों और तीनसे अधिक फल न हों। नींबू, शहद, शक्कर, नमक और सोडा डालकर पानी जितना चाहो पी सकती हो। फिलहाल यह व्रत २० मार्चतक रहे। दवाके तौरपर ली जानेवाली कोई चीज अलग न मानी जाये। बीमारीकी हालत में इन चीजोंमें फेरफार किया जा सकता है।

  1. साधारणतया ज्वारकी मोटी रोटी।