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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

भोग रहे हैं, यद्यपि वहाँ भी अन्दरूनी झगड़े होते रहते हैं। हमें यह घोषित करना ही चाहिए कि हम स्वतन्त्रता चाहते हैं। यह है यवतमालमें गांधीजीसे हुई विधानसभाके सदस्य शापुरजी सकलातवालाकी बातचीतका सारांश...

साम्यवादी संसद सदस्यका ऐसा विश्वास है कि खादी अहिंसात्मक नहीं है, क्योंकि वह लंकाशायरके श्रमिकोंकी आजीविका समाप्त करती है। खद्दरमें कोई एकता निहित नहीं है। घरोंके कोनोंमें कताई करके हम एकता कैसे हासिल कर सकते हैं? एकता कारखानोंमें साथ-साथ काम करके हासिल की जा सकती है।

गांधीजीने जवाब दिया कि जो आपने कहा है किया वही जा रहा है। उन्होंने कहा कि यदि आप यहाँ रुककर देखें तो रास्तेमें आनेवाली कठिनाइयोंको समझ सकेंगे। गांधीजीने इस बातका दावा किया कि विधानसभाके सदस्य महोदय जिस सम्मिलित शक्तिकी चर्चा करते हैं, वह खद्दर द्वारा जुटाई जा रही है। गांधीजीने उनसे कहा कि कुछ दिनोंके लिए आप मेरे साथ यात्रा करें और मैं आपको दिखाऊँगा कि खद्दरसे क्या परिणाम हासिल किया जा रहा है। बुनकर, कताई करनेवाले और रंगरेज आदि खादी द्वारा एकताके सूत्रमें बाँधे जा रहे हैं।

अन्तमें श्री सकलातवालाने विनोदपूर्वक कहा कि लोगोंके लिए उन्हें (गांधीजीको) एक सीमामें रोककर रखना पड़ेगा जैसे कि सिनफेन आन्दोलन चलानेवाले लोग अपने नेताओंको रखते हैं और उन्हें उनसे कहना पड़ेगा कि "हमारा नेतृत्व जिस तरह हम आपको बतलायें उस तरह कीजिए।"

[अंग्रेजीसे]
बॉम्बे क्रॉनिकल, १४-२-१९२७

४३. पत्र: मणिबहन पटेलको

अकोला जाते हुए
रविवार, ६ फरवरी, १९२७

चि॰ मणि,

तुम्हारा पत्र मिला। तुम्हें अक्षर सुधारनेकी जरूरत है। अक्षर बड़े और साफ लिखनेकी आदत डालो। किसी खास मौकेपर ही अच्छे अक्षर लिख देना काफी नहीं। जैसे महादेवके अक्षर हमेशा सुन्दर होते हैं उसी तरह हमें भी सदा सुन्दर अक्षर ही लिखने चाहिए।

फिलहाल हरिहरभाईकी कक्षामें जाती रह सकती हो। अगर हिन्दीमें बातचीत करनेकी आदत डाल लो तो हिन्दी सीख जाओगी। उसके प्रति रुचि होगी तो उसका ज्ञान अपने-आप आ जायेगा।

कराचीसे जवाब आनेपर लिखूँगा।