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पत्र : के० केलप्पनको

कि दुग्ध व्यवसायकी जिस योजनामें इस अनिवार्य मर्यादाका ध्यान न रखा गया हो और उसके निराकरणकी कोई व्यवस्था न की गई हो वह योजना आर्थिक दृष्टिसे दोषपूर्ण है। इन बातोंको ध्यानमें रखकर इम्पीरियल इंस्टिटयूटका विस्तार किया जा सकता है या नहीं, यह कहनेका अधिकार मुझे नहीं है। लेकिन क्या आप इन बातोंके सम्बन्धमें मेरा कुछ मार्ग-दर्शन कर सकते हैं अथवा इससे सम्बन्धित साहित्यकी सूचना दे सकते हैं ?

और वैसे, उस डेरीको कुछ एक दिन देखनेके बाद वहाँसे मैंने जो जानकारी प्राप्त की है उस सबको मैं और अच्छी तरह समझ और ग्रहण कर सकूं, इसके लिए मुझे सामान्यत: कौन-कौन-सी पुस्तकें पढ़नी चाहियें ? अगर आपके पास इम्पीरियल डेरीकी प्रवृत्तियों के सम्बन्धमें कोई साहित्य हो और वह बेचा जाता हो तो मैं उसे खरीदना चाहूँगा ।

और अन्तमें मुझे आपने डेरीको ठीक तरहसे देखनेकी जो सुविधाएँ प्रदान कीं, उनके लिए मैं आपको धन्यवाद दिये बिना नहीं रह सकता ।

हृदयसे आपका,

श्री विलियम स्मिथ

इम्पीरियल डेरी एक्सपर्ट

बंगलोर

अंग्रेजी (एस० एन० १२९२७ ) की माइक्रोफिल्म से ।

५५. पत्र : के० केलप्पनको

कुमार पार्क, बंगलोर

२५ जून, १९२७

प्रिय केलप्पन,

मेरे मन में तुम्हारा खयाल अक्सर आता रहा है और में सोचता रहा हूँ कि मालूम नहीं, तुम क्या कर रहे हो। और अब तुम्हारा पत्र मिला; इसे पाकर बड़ी खुशी हुई। अपना काम तुम्हें किस प्रकार प्रारम्भ करना चाहिए, इस विषयमें मैं तुम्हें सलाह नहीं दे सकता । अगर फिलहाल तुम केरलमें पैसा न भी जुटा सको लेकिन यदि तुम ऐसे विश्वसनीय कार्यकर्त्ता तैयार कर सको जो कुछ त्याग करके सेवा करने को तैयार हों तो मुझे लगता है कि पैसेकी व्यवस्था की जा सकती है। अगर तुम्हारे पास ऐसे नौजवान हों तो तुम उनकी योग्यताका ब्योरा देते हुए एक सूची और कामकी योजना तैयार कर लो। फिर वह योजना लेकर आओ और उसपर मेरे साथ बातचीत करो। बेशक, अन्ततः उस कामको एक बोर्डके ही नियन्त्रणमें रखना पड़ेगा।

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