६३. पत्र : श्रीमती ब्लेयरको
कुमार पार्क,बंगलोर
२८ जून, १९२७
प्रिय श्रीमती ब्लेयर,
आप कितनी भली हैं। जब भी कोई . . .[१] , आप उसे मेरे पास जरूर भेज देती हैं। मुझे उम्मीद है कि जिन लोगोंने अपने नाम[२] दिये हैं, वे अन्ततक दृढ़ रहेंगे । बेशक, दार्जिलिंग में ऊन कातना बिलकुल ठीक है मुख्य बात तो हाथसे कातना है। मैं आशा करता हूँ कि आप किसी दिन आश्रम आयेंगी । हाँ, मैं अब भी स्वास्थ्य- लाभके लिए आराम कर रहा हूँ, और यहाँ दक्षिण भारतमें जो थोड़ा-बहुत काम कर सकता हूँ, वह तो मुझे करना ही पड़ता है ।
हृदयसे आपका,
श्रीमती ब्लेयर
मालविला ३
दार्जिलिंग
अंग्रेजी (एस० एन० १४१७५ ) की माइक्रोफिल्मसे ।
६४. पत्र : जामिनीभूषण मित्रको
कुमार पार्क,बंगलोर
२८ जून, १९२७
प्रिय जामिनी बाबू,
आपका पत्र मिला । संघकी नीति तो यह है कि पृथक खादी संगठन खोलने या उनमें कार्यकर्त्ताओंको भरती करनेके प्रयत्नोंको प्रोत्साहन न दिया जाये। हाँ, अगर इसके लिए पुख्ता कारण हों तो बात और है । यह तो सम्भव है कि आपके पास भी पर्याप्त कारण रहे हों। मगर मुझे तो उनकी कोई जानकारी है नहीं । जो भी हो, आपको संघसे अपनी बात उसके बंगाल स्थित एजेंटके जरिये कहनी होगी, और जैसा कि आप जानते हैं, उसके बंगाल- स्थित एजेंट सतीश बाबू हैं। आपको सबसे पहले उनको सन्तुष्ट करना होगा । और अन्तमें, आप शायद यह न जानते हों कि