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पत्र: नाजुकलाल नन्दलाल चोकसीको

चाहिए, क्योंकि हम दुनिया-भरसे यही तो आशा करते हैं कि उसे हमारे दोषोंको सहन कर लेना चाहिये ।

बापूके आशीर्वाद

गुजराती (एस० एन० ९४०९ ) की फोटो - नकलसे ।

६७. पत्र : नाजुकलाल नन्दलाल चोकसीको

बंगलोर

२८ जून, १९२७

भाई नाजुकलाल,

तुम्हारा और मोतीका पत्र मिला । मोतीके आलसी स्वभावको न उसके बुजुर्ग बदल पाये और न तुम ही । अब देखें उसकी सन्तान उसके इस आलस्यको दूर कर पाती है या नहीं ? आशा है अब तुम्हारा स्वास्थ्य बिलकुल सुधर गया होगा । यह जानकर मुझे कुछ सन्तोष हुआ कि मोतीकी छूत तुम्हें नहीं लगी है । 'कुछ सन्तोष हुआ' इसलिए लिख रहा हूँ क्योंकि दुनियाकी रीत तो ऐसी है कि यदि दो व्यक्ति साथ रहें तो एकको दूसरेकी छूत लगे बिना रहती ही नहीं। इसलिए या तो तुम्हारी छूत मोतीको लगनी चाहिए-सो तो लगी नहीं यह साफ जाहिर है या फिर मोतीकी तुम्हें । और मुझे यह भय बना रहता है कि शायद यह कभी तुम्हें लग जाये तो । जब प्रसवका समय आये तो मुझे लिखना और समय-समयपर लिखते रहना । अभी तो मैं इसी ओर रहूँगा ।

बापूके आशीर्वाद

भाईश्री नाजुकलाल चोकसी

सेवाश्रम

भड़ींच

गुजराती (एस० एन० १२१४०) की फोटो - नकलसे ।