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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

अनुपात में गरीबोंको भी अपना जीवन-स्तर ऊपर उठानेके लिए सक्षम बनायेंगे और प्रेरित करेंगे। इन करोड़ों लोगोंको अपना जीवन-स्तर ऊपर उठाने में सक्षम बनाने और उसके लिए प्रेरित करनेको फैशनपरस्त मध्यम वर्गके लिए जो एक व्यापक, प्रभावकारी और शीघ्र फल देनेवाला उपाय है, वह है खादीको अपनाकर उनकी कमाई में दो पैसेकी वृद्धि करना । बंगलोर में खादी कार्यके लिए आर्थिक सहायता बहुत से लोगोंने दी है । लेकिन इतना ही पर्याप्त नहीं है। जबतक लोग खादी नहीं पहनते, तबतक वह वास्तविक प्रगति नहीं कर सकती। इसलिए बंगलोर तथा आसपासके जिलोंके लोगोंसे मेरा अनुरोध है कि वे सिर्फ प्रदर्शनीको देखकर और इस आन्दोलनको आर्थिक सहायता देकर ही सन्तुष्ट न हो जायें, बल्कि अपनी पोशाकोंके लिए खादीको अपनाकर गरीबों के साथ तादात्म्य स्थापित करें ।

[ अंग्रेजीसे ]

यंग इंडिया, ३०-६-१९२७

७७. टिप्पणी

उनकी स्मृतिके प्रति न्याय करनेके लिए

'स्टोरी ऑफ माई एक्सपेरीमेंट्स विद ट्रुथ' (आत्मकथा), भाग ३, अध्याय १९ में[१] सिस्टर निवेदिताके विषयमें लिखी मेरी कुछ बातोंपर ' माडर्न रिव्यू' में[२] एक टिप्पणी प्रकाशित हुई है। मेरी बातोंको उद्धृत करनेके बाद पत्रिकामें निम्न टिप्पणी दी गई है :

पूरी परिस्थितिका विशद विवरण दिये बिना 'द स्प्लेंडर बैट सराउंडेड हर' (उनके आसपासको चमक-दमक) के उल्लेखसे पाठकोंके मनमें सिस्टर निवे- दिताके रहन-सहनके तरीकेके बारेमें गलत धारणा पैदा होती है । सचाई यह है कि जब श्री गांधीने उनको देखा, उस समय वे अमेरिकी वाणिज्य दूतावासमें श्रीमती ओल बुल और कुमारी जोजेफिन मैक्लियडको अतिथि थीं; और इसलिए उस चमक-दमक के लिए वे स्वयं जिम्मेवार नहीं थीं । उनके सभी मित्रों और परिचितोंको यह बात भली-भाँति ज्ञात है कि वे बोलपाड़ा लेन, बाग बाजारके एक टूटे-फूटे मकान में संन्यासिनीको तरह अत्यन्त सादे ढंगसे रहती थीं।[३]

  1. यह यंग इंडियाके १४ अप्रैल, १९२७ के अंकमें प्रकाशित हुआ था
  2. २. जुलाई, १९२७ के अंकमें।
  3. टिप्पणीके शेष अंशका अनुवाद यहाँ नहीं दिया जा रहा है। इस अंशमें लेखकने अंग्रेजीके ' वॉलेंटाइल' शब्दके प्रयोगपर आपत्ति की थी। उनका कहना था कि अव्वल तो हमें यही बात नहीं मालूम है कि श्री गोखलेने सिस्टर निवेदिताके बारेमें गांधीजीसे अंग्रेजीमें बातचीत की थी या नहीं और की भी थी