अब 'वॉलॅटाइल' शब्द के प्रयोगके बारेमें। यद्यपि यह अनुवाद मैंने नहीं किया है, फिर भी मैं इस शब्दके प्रयोगकी जिम्मेदारीसे अपनेको बरी नहीं मान सकता, क्योंकि आम तौरपर में इन अनुवादोंका संशोधन कर दिया करता हूँ, और मुझे याद है कि मैंने इस विशेषणके बारेमें महादेव देसाईसे बातचीत की थी । हम दोनोंके मनमें ऐसी शंका थी कि इस विशेषणका प्रयोग शायद ठीक न हो । चुनाव 'वॉल- टाइल', 'वायलेंट' (प्रबल) और 'फैनेटिकल' (उग्र ) में से करना था । 'वायलेंट ' और 'फैनेटिकल' को ज्यादा सख्त माना गया। महादेवने 'वॉलॅटाइल' शब्द चुना था और मैंने उसपर स्वीकृति दे दी । लेकिन उसका प्रयोग करते समय न उनके मनमें और न मेरे ही मनमें वह अर्थ था जो अंग्रेजीके शब्दकोषोंमें दिया गया है।
गोखलेने किस शब्दका प्रयोग किया था, यह मुझे याद नहीं है। मूल लेखमें मैंने 'तेज' शब्दका प्रयोग किया है। सिस्टर निवेदिताके साथ हुई अपनी बातचीत मुझे पूरी तरह याद है । लेकिन मैं यहाँ उसका वर्णन नहीं करना चाहता । जिस व्यक्तिको हिन्दू धर्म और हिन्दुस्तान से इतना अधिक स्नेह था, उसकी स्मृतिको कोई भी अनुवाद या मूल लेख दूषित नहीं कर सकता । उसे लोग सदा कृतज्ञतापूर्वक हृदय में सँजोकर रखेंगे ।
[ अंग्रेजीसे ]
यंग इंडिया, ३०-६-१९२७
७८. काशी विद्यापीठ
'यंग इंडिया' के पाठक जानते हैं कि काशी विद्यापीठ अभीतक जीवित कुछ-एक राष्ट्रीय संस्थाओंमें से एक है। काशी विद्यापीठके पंजीयक (रजिस्ट्रार) द्वारा भेजी गई निम्नलिखित सूचना[१] मैं सहर्ष प्रकाशित कर रहा हूँ ।
[ अंग्रेजीसे ]
यंग इंडिया, ३०-६-१९२७
७९. सन्देश : 'फॉरवर्ड 'को[२]
१६ जून,१९२७
यदि हम स्वराज्यके और देशबन्धुने हमारे लिए जो महान् त्याग किया उसके पात्र बनना चाहते हैं, तो हमें राष्ट्रके हेतु कुछ ठोस एवं रचनात्मक कार्य कर दिखाना चाहिए । जबतक खादीके अलावा कोई और ऐसी चीज जो इसीकी तरह सबकी पहुँचके भीतर हो, खादीका स्थान नहीं ले लेती तबतक हमें इसीके लिए काम करना है ।