पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 34.pdf/१४२

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९२. पत्र : विलियम स्मिथको

कुमार पार्क,बंगलोर

३ जुलाई, १९२७

प्रिय श्री स्मिथ,

आपके दो पत्र, बड़े मनोयोगपूर्वक तैयार की गई टिप्पणियाँ और वह इतालवी पुस्तिका भी मिली जिसमें बधिया करनेके औजारका प्रयोग और सिद्धान्त बताया गया है । इस सबके लिए मेरा धन्यवाद स्वीकार कीजिए ।

आपकी टिप्पणियाँ देख गया हूँ, और अगर मंगलवारको शामके ४ बजे आपको फुरसत हो तो आपसे मिलकर मुझे बड़ी प्रसन्नता होगी ।

आपकी महत्त्वपूर्ण टिप्पणियोंका उपयोग क्या मैं 'यंग इंडिया' में अथवा किसी अन्य सार्वजनिक प्रयोजनके लिए कर सकता हूँ ?

हृदयसे आपका,

अंग्रेजी (एस० एन० १२९१९) की माइक्रोफिल्मसे ।

३ जुलाई, १९२७

९३. भाषण : बंगलोरकी खादी-प्रदर्शनी के उद्घाटन के अवसरपर

३ जुलाई, १९२७

भाइयो,

मेरे लिए यह बहुत बड़े सौभाग्यकी बात है कि आपने मुझसे इस समारोहकी उद्घाटन-विधि सम्पन्न करनेको कहा है। मुझे बहुत दुःख है कि मैं अपना उद्घाटन- भाषण स्वयं नहीं पढ़ सकूंगा । आप यह तो स्वीकार करेंगे ही कि डॉ० सुब्बाराव तथा मेरी सहायता करनेवाले अन्य चिकित्सक मित्रोंने मुझे जो छूट दी है, उसका मुझे अनुचित लाभ नहीं उठाना चाहिए। इसलिए मैं यथासम्भव अधिकसे-अधिक सँभल-सँभलकर चलना चाहता हूँ और अपने शरीरपर कोई अनुचित भार नहीं डालना चाहता। इसलिए, इस प्रदर्शनीके सम्बन्ध में आपके सामने में जो कुछ-एक विचार रखना चाहता था, उन्हें मैंने लिखित रूप दे दिया है। श्री तथाचारी इस प्रान्तकी मातृभाषामें किया गया उसका अनुवाद पढ़ेंगे और तब श्री राजगोपालाचारी आपके सामने मूल अंग्रेजी भाषण पढ़ेंगे। मुझे इस बातका बहुत दुःख है कि इस प्रान्तके निवासी उस भाषाको नहीं सीख रहे हैं जो भारतकी राष्ट्रभाषा है अथवा होनी चाहिए। मैं जब - कभी दक्षिण भारत आया हूँ, मुझे इस कमी के बारेमें कुछ-न-कुछ अवश्य कहना पड़ा