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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

पूनियाँ बनाना, कताई और बुनाई, इन सारी प्रक्रियाओंका प्रदर्शन होते देखेंगे। इन प्रक्रियाओं में प्रयुक्त बहुत ही सीधे-सादे औजारों और यन्त्रोंको भी देखेंगे । रेखा-चित्रोंमें आपको इन यन्त्रोंकी उत्पादन क्षमता भी देखनेको मिलेगी। इनमें से अधिकांश हमारे गाँवों में ही बड़ी आसानीसे बनाये जा सकते हैं ।

श्रोत - समूहमें उपस्थित फैशनपसन्द, कलात्मक रुचिवाले और धनाढ्य लोगोंका ध्यान उस भरे-पूरे स्टालकी ओर दिलाना भी मुझे नहीं भूलना चाहिए जहाँ आप बहुत ही सुन्दर ढंगसे काम की हुई और कढ़ाई की हुई नफीस किस्मकी खादी देखेंगे । यह बम्बईकी उन लगभग ४०० लड़कियोंके श्रम और कुशलताका परिणाम है जो इस काम से प्रतिदिन छ: आनेसे लेकर डेढ़ रुपयेतक कमा रही हैं । इस संस्थाका संचालन बम्बईकी राष्ट्रीय स्त्री सभा करती है, जिसमें अन्य आत्मत्यागी महिलाओंके अतिरिक्त भारतके पितामह दादाभाई नौरोजीकी पौत्री और पेटिट परिवारकी भी एक बहन शामिल हैं।

मधुसूदन दास कटकके बड़े नामी वकील थे । उड़ीसाकी गरीबीने उन्हें उनके स्वप्न- लोकसे जगाया और तब उन्होंने देखा कि यद्यपि हल-बैलके सहारे खेतों में काम करना आवश्यक है, फिर भी अगर हम कृषिके साथ किसी ऐसे उद्योगकी भी व्यवस्था नहीं करते जिसके लिए हस्त कौशल अपेक्षित हो तो हमारा देश शीघ्र ही निठल्ले और सुस्त लोगोंका देश बन जायेगा और अब तो वे खुद ही एक सिद्धहस्त कारीगर बन गये हैं ।

लेकिन, अब मुझे और ज्यादा देरतक आपको उस खुराकसे वंचित नहीं रखना चाहिए जो प्रदर्शनी समितिने आपकी दृष्टि और बुद्धिके लिए तैयार कर रखी है। मेरी यही कामना है कि प्रदर्शनीको देखकर आप ग्रामोद्वारके मुख्य तथ्यके रूपमें खादीके अमूल्य महत्त्वको समझ सकें और वह आपको इस बात के लिए प्रेरित कर सके कि आपमें से जिन लोगोंके पास समय है और जिनमें रुचि है, वे चरखेका सन्देश पहुँचाने के लिए गाँवों में जाकर और आपमें से सभी लोग अपनी पोशाक और घरेलू जरूरतोंके लिए खादीको अपनाकर गरीब ग्रामवासियोंके साथ एक जीवन्त सम्बन्ध कायम करें। मैं इसे ईश्वरका काम कहने की धृष्टता करता हूँ । इस कामकी सम्भावनाएँ बहुत विस्तृत हैं, लेकिन इसे करनेवाले श्रमिक बहुत कम हैं। अगर आप चाहें तो आपमें से हरएक श्रमिकोंकी इस संख्या में वृद्धि कर सकता है ।

मैं अत्यन्त प्रसन्नताके साथ इस प्रदर्शनीके उद्घाटनकी घोषणा करता हूँ और ईश्वरसे प्रार्थना करता हूँ कि अगर उसकी दृष्टिमें यह काम ठीक हो और कार्यकर्त्ता लोग योग्य पाये जायें तो वह इसे अपना आशीर्वाद दे ।

भाषण पढ़ दिये जानेके बाद प्रभावोत्पादक मौनके बीच महात्माजीने अन्तमें कहा :

भाइयो,

अब तुरन्त ही में मैसूरके उद्योग विभागकी उद्योगशालामें तैयार किये गये चरखेके नमूनेका अनावरण करके उद्घाटन - विधि सम्पन्न करूँगा । श्री गंगाधरराव