पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 34.pdf/१५६

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१०२. पत्र : मीराबहनको

कुमार पार्क,बंगलोर

६ जुलाई, १९२७

चि० मीरा,

तुम्हारा तार पाकर मन बेचैन हो उठा है। अबतक कोई पत्र नहीं मिला है। आगेके समाचारकी मैं आतुरताके साथ प्रतीक्षा करूँगा । भगवान् तुम्हारी रक्षा करे ।

तुम्हारा,

बापू

अंग्रेजी (सी० डब्ल्यू ० ५२४४ ) से ।

सौजन्य : मीराबहन

१०३. पत्र : ए० फेनर ब्रॉकवेको

कुमार पार्क,बंगलोर

६ जुलाई, १९२७

प्रिय भाई,

सहपत्रों के साथ गत १३ जूनका आपका गोपनीय पत्र मिल गया । आपने अपने विधेयकका मसविदा भेजकर मुझे जो सम्मान दिया है, उसकी में कद्र करता हूँ, और मैं इंडिपेंडेंट लेबर पार्टीके उन सदस्योंको धन्यवाद देता हूँ जिन्होंने इस विधेयक- को तैयार किया है ।

फिर भी, मैं आपको कोई कामकी सलाह देने या आपका मार्गदर्शन करनेमें असमर्थ हूँ, क्योंकि फिलहाल तो मैं एक अलग दिशामें काम कर रहा हूँ। मैं अपनी सारी ताकत देशकी आन्तरिक शक्तिके विकासमें लगा रहा हूँ, इसलिए संविधान अन्तिम रूप में कैसा हो इस प्रश्नका अध्ययन करनेके लिए मेरे पास बहुत कम समय है । मैं इस प्रश्न के महत्त्वकी किसी भी रूपमें उपेक्षा नहीं कर रहा हूँ । लेकिन में अपनी सीमाओंको समझता हूँ, और इसलिए कोई दस्तन्दाजी न करके और सारे मामलेको सहानुभूतिपूर्ण दृष्टिसे देखते रहकर ही मैं यथाशक्ति उपयुक्त संविधान स्वीकृत करवानेके आन्दोलनको सहायता देता हूँ। लेकिन, में यह माने लेता हूँ कि आपने विधेयकका मसविदा भारतके बहुत-से अन्य लोक-सेवो व्यक्तियोंको भी भेजा