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१०६. पत्र : लिलियन एडगरको

कुमार पार्क,बंगलोर

६ जुलाई, १९२७

प्रिय मित्र,

कृष्णदासने आपका पत्र और उसके साथ भेजा सूत मुझे दे दिया है । सूत खराब तो बिलकुल नहीं है। हाँ, इसे ज्यादा एकसार जरूर बनाया जा सकता था । में नहीं समझता कि इसमें उम्रका कोई व्यवधान है। मैं आपके ही समान अधिक उम्र के ऐसे अनेक लोगोंको जानता हूँ कि जिन्होंने कताई शुरू करके उसमें काफी अच्छी गति प्राप्त कर ली। इसमें सन्देह नहीं कि शुरूमें अधिक धैर्यकी जरूरत होती है ।

आपने मुझसे पूछा है कि आप जो थोड़ा-सा सूत कातती हैं, उससे क्या गरीबों- को कोई सहायता मिल सकती है । में बेहिचक कहता हूँ, “हाँ, मिल सकती है।' लेकिन, इसका मतलब यह नहीं कि आप जो सूत कातकर भेजें उसकी खादी अलग से बुनकर गरीबोंको भेज दी जायेगी। सूतके रूपमें हमें जो चन्दा मिलता है, उसका हम ऐसा कोई उपयोग नहीं करते। हम करते यह हैं कि उस सूतको बुने जानेवाले थानमें लगा लेते हैं और उसकी बिक्रीसे जो मुनाफा होता है, उसका उपयोग गरीबोंको कताईके काम और उससे सम्बन्धित दूसरे कार्योंकी सुविधा प्रदान करनेके लिए करते हैं।

मैं आपके इस विचारसे पूर्णतः सहमत हूँ कि व्यक्तियोंके लिए यह बात बहुत कठिन है कि वे दान देने में विवेकसे काम ले सकें। गलियोंमें फिरनेवाले भिखमंगोंमें से अधिकांश लोग अगर कुछ और नहीं तो कमसे कम ऐसे निठल्ले और आलसी तो है ही जो एक धन्धेके तौरपर भीख माँगते हैं, और जिनके पास अपनी जरूरतसे ज्यादा पैसा है। इन्हें पैसा, खाना या कपड़ा देनेसे इनका और देशका भी अहित ही होता है । हमने अनुभवसे देखा है कि हम चन्देके रूपमें प्राप्त सुतसे तैयार की गई खादीको गरीबोंके बीच बाँटें तो यह भी उनका कोई भला करना नहीं होता । असली जरूरत न उन्हें भोजन देनेकी है और न कपड़ा देनेकी । जरूरत तो उन्हें ऐसा काम देनेकी है जिसे वे अपने झोंपड़ोंमें बैठकर कर सकें। लेकिन जहाँ कामके साथ-साथ कपड़ा देना जरूरी होता है, वहाँ उसे देते हुए भी हम नहीं हिचकिचाते । लेकिन ऐसी आवश्यकता यदा-कदा ही पड़ती है। मेरे विचारसे, यज्ञके भावसे किसीके द्वारा सूत कातनेका असली महत्त्व स्वयं इस काम में है और इससे देशमें कर्मशीलताका जो वातावरण तैयार होता है, उसे उत्तेजन देने तथा देशके गरीबसे गरीब लोगोंके प्रति सहानुभूतिकी ठोस और क्रियाशील भावना जगाने में निहित है ।

अब अपने प्रश्नोंके उत्तर लीजिए :

१. पहले सूत निकालकर फिर उसमें बट देना गलत है । सूत तो तकुएके अपने केन्द्रमें चारों ओर घमते समय ही निकालना चाहिए। इस घुमावसे सूतमें ठीक बट