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१११. राजनीतिक संगठन क्या है ?

गत २५ जूनके 'हिन्दू' में मुझे निम्न अनुच्छेद पढ़नेको मिला :

मुझे पता चला है कि सरकारने सरकारी कर्मचारी आचार-संहिता के नियम २३ (१) के अन्तर्गत सरकारी कर्मचारियोंके खादी- कोषमें, जो अखिल भारतीय चरखा संघके सहायतार्थ खोला गया है, चन्दा देनेपर प्रतिबन्ध लगा दिया है। इस प्रतिबन्धके कारण इस प्रकार बताये गये हैं: (१) यह संस्था अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटीकी सहमति से कांग्रेस संगठन के एक अभिन्न अंगके रूपमें स्थापित की गई है; (२) इस संस्थाने साफ घोषणा की है कि यह कांग्रेसकी सदस्यता के लिए सूतका चन्दा प्राप्त और स्वीकार किया करेगी और (३) इसलिए इसे एक राजनीतिक संगठन मानना चाहिए ।

अगर 'हिन्दू' के विशेष संवाददाता द्वारा दी गई यह जानकारी सही है तो मद्रास सरकारका यह निर्णय मुझे विकृत निर्णय-बुद्धिका एक उदाहरण और सरकारी कर्मचारियोंकी व्यक्तिगत स्वतन्त्रता में एक जघन्य हस्तक्षेप प्रतीत होता है । अगर इसका उद्देश्य सिर्फ खादी या अखिल भारतीय चरखा संघपर प्रहार करना है, तो मुझे इसमें कोई सन्देह नहीं कि इस प्रहारसे इन दोनोंका कुछ बिगड़नेवाला नहीं है। और अगर यह आदेश अखिल भारतीय चरखा संघको कांग्रेससे अपने सारे सम्बन्ध तोड़ लेने के लिए मजबूर करनेके खयालसे जारी किया गया है तो मैं कहूँगा कि मुझे यह जानकर बहुत दुःख होगा कि इस संघने ऐसा कोई काम किया है जिससे सरकारको इसे कांग्रेस- से अपने सम्बन्ध तोड़ लेनेको मजबूर करनेकी स्थिति उत्पन्न करनी पड़े। संघको इस बातका गर्व है कि वह कांग्रेस संगठनका एक अभिन्न अंग है, और जबतक वह सम्माननीय राष्ट्रीय संस्था इसे अपने संरक्षणके योग्य मानती रहेगी तबतक संघ उसके झंडे के नीचे काम करना अपने लिए प्रतिष्ठा और सौभाग्यकी बात समझता रहेगा । लेकिन अगर किसी संस्थाको सिर्फ इसलिए राजनीतिक संस्था माना जाता है कि उसकी स्थापना कांग्रेसने की और उसे कांग्रेसका संरक्षण प्राप्त है तब तो इस व्याख्याके अनुसार ऐसे कुत्सित परिणाम निकाले जा सकेंगे जिन्हें, मुझे उम्मीद है, कोई आत्म- सम्मानी सरकारी कर्मचारी बर्दाश्त नहीं करेगा ।

दलित वर्गोंके बच्चोंके लिए विभिन्न प्रान्तोंमें ऐसे कई स्कूल हैं जो कांग्रेसकी देख-रेख में और कांग्रेस के कोषके पैसेसे चलाये जा रहे हैं और यह तो सभी जानते हैं कि इनके लिए सरकारी नौकर भी खुले आम चन्दा देते हैं। क्या उनका ऐसा करना गलत था ? और क्या इसी कारणसे 'अस्पृश्यों' के लिए चलाये जानेवाले स्कूल राजनीतिक संस्थाएँ बन जाते हैं कि उन्हें अपने पैसे से कांग्रेस चलाती है ? प्रान्तीय कांग्रेस कमेटियाँ अकाल पीड़ित सहायता कोष खोलती आई हैं और लोगोंको उनमें