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युगों पुरानी समस्या

कराया जाये तो कुछ ही दिनोंमें ये पिंजरापोल ऐसे स्थान बन जायेंगे जहाँसे दूधका व्यवसाय करनेवाले लोग अपना व्यवसाय शुरू करनेके लिए आवश्यक जानवर खरीद सकते हैं, खेतिहर लोग बैल प्राप्त कर सकते हैं; अच्छे पशु पालने का शौक रखनेवाले लोग अच्छे साँड़ोंका लाभ उठा सकते हैं, जरूरतमन्द लोग अपने बीमार पशुओंका ठीक इलाज करवा सकते हैं, गो-पालनकी कलासे अनभिज्ञ लोग अपने पशुओंका पालन करने के लिए अच्छेसे अच्छे ढंगका मार्ग-दर्शन प्राप्त कर सकते हैं, और जो बात सबसे महत्त्वपूर्ण है वह यह कि पालने में झूलनेवाले शिशुओंसे लेकर मृत्यु-शय्यापर पड़े बूढ़ों तकको ठीक दामपर दूध और उससे तैयार होनेवाले अन्य पौष्टिक पदार्थ मिल सकते हैं ।

[ अंग्रेजीसे ]

यंग इंडिया, ७-७-१९२७

११३. युगों पुरानी समस्या

अल्मोड़ाके एक संन्यासीने लिखा है :

एक पत्र लेखकको उत्तर[१] देते हुए गत १५ अप्रैलके 'यंग इंडिया' में आपने कहा है, अगर कोई साँप आपको काटनेकी कोशिश करे तब भी आप उसे मारना नहीं चाहेंगे। मेरे विचारसे यह अनुचित होगा; क्योंकि अव्वल तो इस तरह आप अपनी मृत्युके भागी होंगे, और दूसरे, ऐसे विषैले जीवको मुक्त छोड़कर आप दूसरे लोगोंकी हानिका कारण बनेंगे। अब एक दूसरा उदाहरण लीजिए। अगर किसी घरमें साँप घुस जाये और उस घरका मालिक साँपको मारे बिना उसे अपने घरसे भगा दे तो निश्चित है कि वह किसी दूसरे घरमें घुस जायेगा और उसमें रहनेवाले लोगोंको डॅसेगा । उस हालत में अगर साँप उस दूसरे घर के लोगोंको हँसता है -- और उसका डँसना घातक भी हो सकता है--तो उसकी जिम्मेदारी उस व्यक्तिपर होगी जिसने दयाको झूठी भावनासे प्रेरित होकर उस साँपको मारे बिना अपने घरसे निकाल दिया । साँपकी जातिके बहुत-से अन्य जीव, जंगली जानवर और कीड़े-मकोड़े भी हैं, जो मनुष्यको हानि पहुँचाते या बीमारी फैलाते हैं। निश्चय ही, अगर इन्हें मारनेमें हिंसा मानी जाये तो यह हिंसा इन जीवों द्वारा किये जानेवाले विनाशकी तुलना में बहुत छोटी हिंसा है। सो इतना तो मानना ही चाहिए कि जब कोई मनुष्य अपनी खातिर हत्या करे तो वह हिंसा है, लेकिन जब हत्या अन्य अनेक मूल्यवान प्राणोंको रक्षाके लिए की जाये तो वह हिंसा नहीं हो सकती । आखिरकार किसी कामकी अच्छाई-बुराईका निर्णय उसके प्रेरक

  1. देखिए खण्ड ३३, पृ४२५३-५४ ।