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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

ऐसे विनिमयके परिणामस्वरूप अपने विचारोंमें, यदि सम्भव हो तो, परिवर्तन करने के लिए तैयार रहने में मनुष्यता है । उदाहरणके लिए में मानता हूँ कि ईश्वरका अस्तित्व है ही किन्तु नास्तिकोंकी बात सुननेसे इन्कार तो नहीं करता ।

७. प्रश्न ७ का उत्तर प्रश्न ६ के[१] उत्तरमें आ जाता है, यह तो तुम मानोगे न ? न मानो तो लिखना ताकि समय निकालकर मैं फिर जवाब दे सकूँ ।

८. प्रश्न ८ का उत्तर भी उपर्युक्त प्रश्नोंके उत्तरमें आ जाता है ।

९. तुम्हारा यह कहना कि सत्याग्रह के लिए जिस शान्त वातावरणकी आवश्यकता है वैसा वातावरण यहाँ नहीं है, ऐसा है जो सारे देशके बारेमें लागू होता है । किन्तु सत्याग्रहकी तो और भी अनेक शर्तें हैं । और मैंने सारे देशके वातावरणकी बात लिखी थी जबकि तुम्हारा व्यान स्थानीय वातावरणतक ही सीमित है। इसे भी मैं इसी बातका उदाहरण मानता हूँ कि तुम मेरे लेखका आशय ठीक-ठीक नहीं समझे ।[२]

१०. कांग्रेस के अध्यक्ष मदद करनेके विचारसे पूछताछ करें और इस सत्याग्रहसे तुम्हारे सम्बन्धके बावजूद यदि मैं उनसे यह कह दूँ कि यह सत्याग्रह, सत्याग्रह नहीं है तो इसमें तुम्हें परेशानी क्यों होनी चाहिए ? 'मुण्डे मुण्डे मतिभिन्ना' यह कहावत तुम्हारे लिए अज्ञात तो है नहीं ?

११. मेरे अन्य कितने ही विचार ऐसे हैं जिन्हें न तो कांग्रेस अध्यक्ष जानते हैं, न भरूचा, न महादेव, न बा और न स्वयं में ही जानता हूँ; इसलिए जब तुम्हें मेरे विचारोंमें कोई नवीन बात नजर आये तब तुम्हें दुःखी नहीं होना चाहिए। तुम्हारे समर्थनसे मुझे जो भी दुःख हुआ है उसे तुम्हारा दुःख दूर करनेके विचारसे में वापस लिये लेता हूँ ।

१२. मुझे स्वराज्य अवश्य चाहिए ।

१३. हमें आत्मरक्षा करना आना चाहिए, इसकी पूरी-पूरी आवश्यकता है ।

१४. इसके लिए मेरा हथियार सत्याग्रह है । लकड़ी, लोहा, बिजली आदि दृश्य पदार्थोंसे निर्मित हथियारोंकी व्यर्थता में जान चुका हूँ इसीलिए मैंने सत्याग्रह - रूपी अदृश्य हथियारको ढूंढ निकाला और उसका आश्रय लिया । किन्तु उसका यह अर्थ नहीं है कि सब लोगोंको इसी अदृश्य शस्त्रका आश्रय लेना चाहिए। दूसरे लोग भले शस्त्रोंके द्वारा स्वराज्य प्राप्त करें और उसकी रक्षा करें। मेरी स्वराज्यकी योजनामें ऐसे शस्त्रोंके लिए भी स्थान है । किन्तु ये शस्त्र मेरे उपयोगके नहीं हैं और इसी तरह वे सत्याग्रहके साथ संगत नहीं हैं ।

१५. इसका उत्तर प्रश्न संख्या १४ के उत्तरमें आ गया है ।

१६. इसका उत्तर भी सच पूछो तो १४ के उत्तरमें आ गया है तथापि स्पष्टीकरण के लिए कहता हूँ कि सत्याग्रहको जो लोग समझ नहीं पाते या समझने के बावजूद उसे स्वीकार नहीं कर पाते वे दृश्य शस्त्रोंको धारण करेंगे ही और इसका उन्हें अधिकार भी है। इसके लिए राज्यको तालीमकी व्यवस्था करनी ही पड़ेगी ।

  1. साधन-सूत्रमें छठे प्रश्नका उत्तर नहीं मिलता ।
  2. देखिए खण्ड ३३, "नागपुर सत्याग्रह, १९-५-१९२७