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पत्र : आश्रमकी बहनोंको

अगर आप चाहते हैं कि मैं आपकी योजनामें रुचि लूं तो उसके लिए दो बातें जरूरी हैं। मुझे ठोस कार्यके रूपमें कुछ करके दिखाइए और जिस प्रकार में अपनी योजनाके सम्बन्धमें यह सिद्ध कर रहा हूँ कि इसे चाहे जितने बड़े पैमानेपर लागू किया जा सकता है और तब भी इससे प्राप्त होनेवाले लाभकी दर वही रहेगी जो इसके छोटे पैमानेपर चलाये जाते समय थी, उसी प्रकार आप भी अपनी योजनाके सम्बन्धमें व्यवहारतः यह बात सिद्ध करके दिखाइए । मैं इस समय अपनी योजनाको १,५०० गाँवोंमें लागू करके दिखा रहा हूँ और मैं यही कामना कर सकता हूँ कि यह सात लाख गाँवोंमें लागू हो सके, लेकिन तब भी लाभकी औसत दर वही रहेगी। आपको मैं इस बात का ध्यान रखनेकी सलाह दूंगा कि जब आप मुझसे पत्र-व्यवहार करते हैं तो उसका मतलब एक ऐसे व्यावहारिक व्यक्तिसे पत्र-व्यवहार करना होता है जो थोथी और बड़ी-बड़ी कल्पनाओंसे बहुत भय खाता है, और जो कागजपर लिखी या छपी सुन्दर और भड़कीली चीजोंसे चमत्कृत होनेवाला नहीं है ।

हृदयसे आपका,

अंग्रेजी (एस० एन० १४१८१) की फोटो- नकलसे ।


१३१. पत्र : आश्रमकी बहनोंको

मौनवार, आषाढ़ सुदी १३ [ १२ जुलाई, १९२७][१]

बहनों

तुम्हारा पत्र मिला ।

इस प्रदर्शनी में बहनोंने कितना और कैसा भाग लिया, यह तुम मणिबनसे सुन लेना । मैं तो इतना लिख देता हूँ कि एक बहन हिसाब रखने में कुशल थी, कुछ अन्य खादी बेचने में उतनी ही कुशल निकलीं । उन्होंने सोने-चाँदीके तमगे प्राप्त किये हैं । एक अंधी बहन बहुत बढ़िया सूत कात रही थी और उसने सबका ध्यान आकर्षित किया था । एक बहन बहुत बारीक और बलदार कातनेमें पहले नम्बर आई और उसने सोनेका पदक पाया । मणिबहनने आश्रमकी लाज रखी। उसकी पिजाई सबकी नजर खींचती थो ।

यहाँ हिन्दी सम्मेलन भी था। उसमें भी एक बहनने प्रथम पद प्राप्त किया । कुछ बहनें हिन्दी सीखनेका अच्छा प्रयत्न कर रही हैं ।

यह सारी जागृति इस प्रदेशमें बहुत सुन्दर ढंगपर हो रही है । मैं तुम्हें लिख ही चुका हूँ न कि दो-तीन बहनें शामकी प्रार्थनाके समय भी मधुर भजन गाती हैं ?

  1. बंगलोर में आयोजित खादी-प्रदर्शनी तथा हिन्दी सम्मेलनके उल्लेखके आधारपर इस शीर्षकका वर्ष निर्धारित किया गया है।