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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

शनिवार के दिन एक बहन मुझे वीणा सुना गईं। वे स्वयं भजन बनाती हैं। कहा जाता है कि वीणा बजानेमें वे बड़ी प्रवीण हैं ।

बापूके आशीर्वाद


गुजराती (जी० एन० ३६५७) की फोटो- नकलसे ।

१३२. भाषण : मैसूरके विद्यार्थियोंके समक्ष, बंगलोर में

[ १२ जुलाई, १९२७ ][१]

भाइयो,

भगवान्का शुक्र है कि मैं आपके सामने धीमे स्वरमें ही सही, लेकिन बोल पा रहा हूँ, और वह भी हिन्दीमें। आपको शायद मालूम होगा कि मैं अपने मित्रोंके साथ हिन्दी और अपनी मातृभाषा गुजरातीमें ही बात करता हूँ । लेकिन मैं जानता हूँ कि आप लोग स्कूलों अथवा कॉलेजोंमें और अपने मित्रों और विद्यार्थियोंसे मिलनेपर सिर्फ अंग्रेजीमें ही बातचीत करते हैं । आपने इसकी आदत बना ली है । मेरे विचारसे यह एक बुरी आदत है । आप ज्ञान-प्राप्ति अथवा जीविका अर्जित करनेके लिए अंग्रेजी सीखें, इसपर मुझे कोई आपत्ति नहीं है । लेकिन आप अंग्रेजीको इतना ज्यादा महत्त्व दें और अपनी राष्ट्रभाषा हिन्दीको इतना कम, इस बातपर मुझे जरूर आपत्ति है । मेरे विचारसे अपने मित्रों अथवा सम्बन्धियोंसे बातचीत करते समय आपका अपनी राष्ट्र- भाषा अथवा मातृभाषाको छोड़ किसी अन्य भाषाका प्रयोग करना उचित नहीं । आप अपनी भाषासे प्रेम करें।

मैं अपने विद्यार्थी मित्रोंसे एक अनुरोध करना चाहूँगा और वह यह कि आप जिस लगनसे अंग्रेजी सीखते हैं उसी लगनसे हिन्दी सीखें और विदेशी भाषाकी चकाचौंध- से चौंधिया न जायें । आपने मुझे यह मानपत्र हिन्दी भाषामें देवनागरी लिपिमें छपवाकर भेंट किया है, इसके लिए में आपका आभारी हूँ । देशके दरिद्रनारायणकी सेवाके अर्थ आपने मुझे एक थैली भेंट की, इसके लिए मैं आप सबका शुक्रगुजार हूँ । आपने मेरे प्रति अपने प्रेमके कारण इतना कुछ इकट्ठा किया है, लेकिन इससे मुझे कोई आश्चर्य नहीं होता । मैं जहाँ कहीं भी जाता हूँ, वहाँ मुझे विद्यार्थियोंसे ऐसा ही सच्चा प्रेम और सेवा प्राप्त होती है । यह आपका धर्म है, यह आपका कर्त्तव्य है । मैं आपसे पूछता हूँ कि आप इस कोष के लिए चन्दा क्यों न दें ? आप अपनी पढ़ाईपर कितना पैसा व्यय कर रहे हैं और सारे हिन्दुस्तान में कितने शहर हैं तथा वहाँ कितना पैसा यों हो बरबाद किया जाता है ? लेकिन क्या आप जानते हैं कि जो शहरोंमें रहते हैं, उन्हें पैसा कहाँसे मिलता है ? उनके पास यह पैसा गाँवोंसे आता है, जहाँ केवल दुःख ही दुःख है और जहाँ दरिद्र-

  1. २१-७-१९२७ के यंग इंडिया तथा १३-७-१९२७ के बॉम्बे क्रॉनिकलसे ।