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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

चीजें खा-पीकर अपने शरीर में विष क्यों फैलाते हैं ? मैं आशा करता हूँ कि आज में आपसे जो कुछ कह रहा हूँ, आप उसके मर्मको पहचानेंगे। आप ब्रह्मचर्यके आदर्शपर विचार करें, बुद्धिपूर्वक उसका मनन करें तथा दृढ़ विश्वासके साथ उसपर आचरण करें । 'भगवद्गीता' में यज्ञपर जोर दिया गया है, 'कुरान' और 'बाइबिल' में भी यही बातें कही गई हैं; अर्थात् जो मनुष्य किसी प्रकारका यज्ञ-त्याग नहीं करता वह सच्चे अर्थो में मनुष्य नहीं है । आप इस यज्ञ शब्दपर गौर करें और हमारे देशको वर्तमान स्थितिको ध्यान में रखकर उसकी आवश्यकताके विषय में विचार करें। मैं भगवान्से प्रार्थना करता हूँ कि वह आपको 'यज्ञ' शब्दके अर्थको समझने और स्वयं यज्ञ करने, त्याग करनेके लिए बल और बुद्धि दे । मेरी भगवान् से प्रार्थना है कि वह आपको देशके उन गरीब लोगोंके विषयमें सोचनेकी बुद्धि दे जो इन नगरोंसे बहुत दूर बसे हुए गाँवोंमें रहते हैं और जिनके खून-पसीने के बलपर, जिनके त्याग बलिदानके बलपर आप इन नगरोंका निर्माण कर रहे हैं। वास्तवमें देखिए तो इन नगरोंके निर्माणके पीछे उनके और उनके परिवारों तथा बच्चोंके दुःख- दैन्यकी गाथा छिपी हुई है । आप प्रतिदिन आधे घंटे चरखा चलाते और अपना कपड़ा बुनते हुए ईश्वरका ध्यान करें। आप इन सब बातोंपर विचार करें और जब आप प्रतिदिन आधे घंटे ईश्वरका चिन्तन करने लगेंगे तब ईश्वरसे मेरी यही प्रार्थना है कि वह आपको अपने देशके गरीबोंका उद्धार किस तरह किया जा सकता है, यह बात समझने की बुद्धि दे। मैं आज आपसे बस इतना ही कहना चाहता हूँ ।

[ अंग्रेजीसे ]

हिन्दू, १३-७-१९२७

१३३. भाषण : इंडियन इंस्टिटयूट ऑफ साइन्समें

बंगलोर

[ १२ जुलाई, १९२७][१]


मैं सोच रहा था कि यहाँ कहाँ आ गया ? मुझ जैसे देहातीका, जिसकी वाणी यह सब देखकर विस्मय और आश्चर्यसे मूक हो जाये, यहाँ क्या काम हो सकता है ? मैं ज्यादा कुछ कहनेकी मनःस्थिति में नहीं हूँ। मैं सिर्फ इतना ही कहसकता हूँ कि आप यहाँ जो बड़ी-बड़ी प्रयोगशालाएँ और बिजलीके वैज्ञानिक उपकरण देख रहे हैं, वे सब करोड़ों सामान्य जनोंके इच्छा और अनिच्छासे दिये गये श्रमका फल है। क्योंकि टाटाने जो तीस लाख रुपये दिये वे कहीं बाहरसे नहीं आये थे, और मैसुर द्वारा दिया गया सारा अनुदान भी कहीं और से नहीं बेगारसे ही प्राप्त हुआ था। अगर हम ग्रामीणोंके पास जाकर उन्हें समझायें कि हम उनके पैसेका उपयोग किस तरह उन बड़ी-बड़ी इमारतों और कारखानोंको खड़ा करनेमें कर रहे हैं जिनसे उन्हें तो नहीं

  1. १२-७-१९२७ के हिन्दूसे ।