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भाषण : इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ साइन्समें

लेकिन शायद उनकी भावी पीढ़ियोंको लाभ हो सकता है, तो वे इस बातको नहीं समझेंगे। वे इस बातपर कोई ध्यान ही नहीं देंगे। लेकिन, हम उन्हें यह सब समझानेकी कोशिश भी नहीं करते, उन्हें कभी कोई महत्त्व ही नहीं देते और उनसे जो मिलता है उसे अपना हक मानकर उनसे ले लेते हैं तथा यह भूल जाते हैं कि " जिसका प्रतिनिधित्व नहीं है उसपर कर भी नहीं लगाया जा सकता", यह सिद्धान्त उनपर भी लागू होता है। यदि आप सचमुच इस सिद्धान्तको उनपर लागू करें और यह महसूस करें कि उनके प्रति भी आपकी जवाबदेही है तो आपको इन तमाम उपकरणोंका एक और भी पहलू नज़र आयेगा । तब आपके हृदय में उनके लिए विशाल स्थान होगा, वह उनके प्रति सहानुभूतिकी भावनासे भरा हुआ होगा, और यदि आप उस भावनाको स्वच्छ और विमल रखेंगे तो आप अपने ज्ञानका उपयोग उन करोड़ों लोगोंके कल्याणके लिए करेंगे जिनके श्रमके बलपर आप शिक्षा प्राप्त करते हैं । आपकी दी हुई थैलीका उपयोग मैं दरिद्रनारायणकी सेवाके लिए करूँगा । असली दरिद्र- नारायणको तो मैंने भी नहीं देखा है, उसके बारेमें कल्पना ही करता हूँ। जिन कतैयोंको यह पैसा मिलेगा, वे भी असली दरिद्रनारायण नहीं हैं। असली दरिद्रनारायण तो किसी दूरस्थ गाँवके अज्ञात कोनेमें रहता है, जहाँ अबतक हम पहुँच नहीं पाये हैं। आपके प्राध्यापकने मुझे बताया कि कुछ एक रसायनोंके गुण-धर्मका पता लगानेके लिए वर्षों प्रयोग करने पड़ेंगे। लेकिन, इन गाँवोंका अनुसन्धान कौन करेगा ? जिस प्रकार आपकी प्रयोगशालाओंमें कुछ प्रयोग चौबीसों घंटे चलते रहते हैं, उसी प्रकार करोड़ों गरीब मानवोंके कल्याणके लिए आपके हृदयको निरन्तर आकुल रहना चाहिए ।

मैं साधारण जनोंकी अपेक्षा आपसे बहुत अधिककी अपेक्षा रखता हूँ । आपने जो थोड़ा-बहुत दिया है उसीसे सन्तोष मानकर ऐसा न कहिए कि 'हम तो जितना कर सकते थे, कर चुके, अब चलें टेनिस-बिलियर्ड खेलें । ' मैं कहता हूँ कि बिलियर्ड कक्ष और टेनिसके मैदान में उस ऋणकी चिन्ता कीजिए जो दिन-दिन आपपर चढ़ता जा रहा है । लेकिन, भला भिखारीको पसन्द-नापसन्द करनेका क्या अधिकार है ? आपने जो कुछ दिया उसके लिए मैं आपको धन्यवाद देता हूँ । मैंने आपसे जो प्रार्थना की है, उसपर विचार कीजिए और अमल कीजिए । गरीब स्त्रियाँ आपके लिए जो कपड़े तैयार करती हैं उन्हें पहननेसे न डरें, आप इस भयको भी त्याग दें कि अगर आप खादी पहनेंगे तो आपके मालिक आपको नौकरीसे निकाल देंगे। मैं चाहता हूँ कि आप सचमुच में मर्द बनें और अपने विश्वासोंको लेकर सारी दुनियासे जूझनेके लिए अडिग भावसे खड़े हों। करोड़ों मूक मानवोंकी सेवाके लिए आपके मन में जो उत्साह है, उसे धनकी लालसाके कारण मन्द न पड़ने दें। मैं सच कहता हूँ कि आप बेतारके तारके इस वैज्ञानिक उपकरणकी अपेक्षा कहीं बड़े उपकरणका आविष्कार कर सकते हैं, जो आपके हृदयको करोड़ों लोगोंके हृदयोंसे जोड़ेगा । उसके लिए बाह्य नहीं बल्कि, आन्तरिक अनुसन्धानकी आवश्यकता है, और सच तो यह है कि अगर आप बाह्य अनुसन्धानके साथ-साथ आन्तरिक अनुसन्धान भी नहीं करेंगे तो सारा बाह्य अनुसन्धान निरर्थक साबित होगा । आप जो भी आविष्कार करें, उन सबका उद्देश्य