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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

अगर गरीबोंकी भलाई नहीं है तो आपके तमाम कल-कारखाने और प्रयोगशालाएँ, जैसा कि राजगोपालाचारीने विनोदमें कहा, वास्तवमें शैतानके कारखानोंसे अधिक कुछ नहीं होंगे। अच्छा तो अगर आप सोचना चाहते हों, जैसा कि सभी अनुसन्धान- छात्रोंको चाहिए तो आपके सोचनेके लिए अब मैंने काफी मसाला दे दिया है ।


अन्तमें उन्होंने [ कहा कि ]... आपको अपनी मातृभूमि और उसको सन्तानके प्रति अपने प्रेमके दीपको सदा प्रज्वलित, व्यवस्थित और स्थिर रखना चाहिए। और चूंकि आप वैसा करते हैं, इसीलिए, आप उस ज्ञान और लाभके उपयुक्त पात्र हैं जो आपको इस संस्थानसे मिल रहा है ।[१]

[ अंग्रेजीसे ]

यंग इंडिया, २१-७-१९२७

१३४. सन्देश : ' सर्चलाइट' को[२]

१३ जुलाई,१९२७

जो लोग मुझसे सन्देश प्राप्त करना चाहते हैं, उन्हें बार-बार एक ही तरहका सन्देश प्राप्त करनेपर आश्चर्य नहीं होना चाहिए, क्योंकि मेरे पास कहनेको नया कुछ नहीं है । 'सर्चलाइट' के सम्पादक, मालिक और कर्मचारीगण तथा पाठक, सभीको करोड़ों गरीब लोगोंके कल्याणके लिए अपने हिस्सेका काम करना चाहिए, अर्थात् वे खादीके अलावा और कुछ न पहनें; वे सभी तरह के विदेशी कपड़ेका बहिष्कार करें; वे खादी कार्यके लिए जितना दे सकें उतना दें; और वे प्रतिदिन कम से कम आधे घंटेतक अच्छा, एकसार और बुने जाने योग्य सूत कातें और उसे दरिद्रनारायणके नामपर तथा दरिद्रनारायणकी ओरसे अखिल भारतीय चरखा संघको उपहार स्वरूप दें। मैं यह जान सकूं कि इस सन्देशको कमसे कम सम्बन्धित व्यक्तियोंने पढ़ तो लिया है, इसलिए मेरा सुझाव है कि वे मुझे अपना चन्दा भेजें और बतायें कि क्या उन्होंने सन्देशको स्वीकार कर लिया है तथा क्या वे उसके अनुरूप कार्य कर रहे हैं । जिन्हें सन्देश स्वीकार न हो, वे मुझे पोस्टकार्डपर अपनी-अपनी आपत्तियाँ और सन्देशको स्वीकार न करनेके कारण लिख भेजें ।

मो० क० गांधी


अंग्रेजी (एस० एन० १४१८२) की फोटो नकल से ।

  1. यह अनुच्छेद १३-७-१९२७ के हिन्दूसे लिया गया है।
  2. १५ जुलाईके वार्षिक विशेषकके लिए ।