१३५. पत्र : मीराबहनकों
१३ जुलाई,१९२७
चि० मीरा,
मैं अभी-अभी एक जगह जानेवाला था कि मुझे तुम्हारा पत्र और तार मिला । तो तुम शनिवारको रवाना हो रही हो। तुमने गंगूके बारेमें जो कहा है, उसे मैंने ध्यान में रख लिया है । भगवान् तुम्हारी सहायता करे ।
सस्नेह,
बापू
अंग्रेजी (सी० डब्ल्यू ० ५२४९) से ।
सौजन्य : मीराबहन
१३६. पत्र : जे० जेड० हॉजको
स्थायी पता : साबरमती आश्रम
१३ जुलाई,१९२७
प्रिय श्री हॉज,
एडिनबरासे लिखा आपका पत्र[१] पाकर बड़ी खुशी हुई। मेरे वे नन्हें-मुन्ने दोस्त अब बड़े हो गये हैं और अच्छी तरहसे हैं, यह जानकर मन प्रसन्न हुआ ।
आपने जिन कागजातका जिक्र किया है, सर डैनियल हैमिल्टन से जब वे मुझे मिल जायेंगे तब मैं उन्हें ध्यानसे पढ़कर सर हैमिल्टन डैनियलको अपने निष्कर्षोसे अवगत करा दूंगा ।
मेरे स्वास्थ्य में काफी सुधार हो रहा है । श्रीमती हॉजसे मेरा नमस्कार कहें ।
हृदयसे आपका,
श्रीयुत जे० जेड० हॉज,
मार्फत / निसवेस
३१, वारेण्डर पार्क टेरेस
एडिनबरा
अंग्रेजी (एस० एन० १२५०९ ) की फोटो - नकलसे ।
- ↑ १ जून, १९२७ का पत्र । इसमें सर डैनियल हैमिल्टनका परिचय देते हुए जे० जेड० हॉजने गांधीजीसे अनुरोध किया था कि वे भारतमें सहकारिता आन्दोलनके प्रसार में सर डैनियलको मदद करें।