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पत्र : डी० सी० बोसको

न था, तो मुझे पत्र लिखकर आपने निश्चय ही कोई गलती नहीं की है। कारण यह है कि मेरे सार्वजनिक कार्योंमें एक यह भी है कि लोगोंकी उस तरहकी कठिनाइयोंको, जिस तरह की कठिनाइयोंकी आपने चर्चाकी है, यदि हल न कर सकूँ तो कमसे- कम उनमें उनका हिस्सेदार तो अवश्य बनूं। आपने अंग्रेजोंके गुणोंके बारेमें जो कुछ कहा है, मैं उस सबसे सहमत हो सकता हूँ, बल्कि उनके बहुतसे ऐसे गुण भी बता सकता हूँ जिनकी चर्चा आपने अपने पत्र में नहीं की । लेकिन, पिछले सात वर्षोंसे मुझे सोचने- विचारनेके लिए जो काफी मसाला मिला है, उसके बावजूद उनकी शासन प्रणालीके सम्बन्धमें मेरी धारणा बदली नहीं है, अपितु और भी दृढ़ हो गई है। और आबकारी विभाग इस प्रणालीकी सबसे बड़ी बुराई है। इसलिए अगर इस विभागसे आपके बाहर निकलने में मैं सहायक हो सकता हूँ तो आपका इसमें रहना मेरे मनको कभी गवारा नहीं हो सकता । आपका पत्र मुझे आपकी ओर खींचता है । में आपको राष्ट्रीय सेवाके किसी विभागमें रखना चाहूँगा, यह सेवा कमोबेश मेरे ही नियन्त्रणमें है । और यदि आप कुछ विशेष अवकाश ले सकें तो मैं चाहूँगा कि मैं जहाँ कहीं भी होऊँ वहाँ आकर आप मुझसे मिलें, ताकि मैं आपको अपने सामने देख सकूँ और आपने अपने पत्र में जिन मुद्दोंको उठाया है, उनपर बातचीत कर सकूँ । १५ अगस्ततक में मैसूरमें हूँ और तबतक मेरा सदर मुकाम बंगलोर होगा । समय-समयपर मेरे बंगलोरसे बाहर जानेकी भी उम्मीद है, लेकिन मैसूर राज्यसे बाहर नहीं, और इसलिए मैं जहाँ भी जाऊँगा, वहाँ बंगलोरसे कुछ घंटोंमें पहुँचा जा सकता है। बंगलोर में मैं जिस घरमें रह रहा हूँ उसके मालिक आपको बता देंगे कि मैं कहाँ हूँ ।

इस बीच, मैं आपके एक प्रश्नका उत्तर अभी ही दे सकता हूँ। यदि आप सचमुच अपने अन्दर किसी ऐसी प्रेरणाका अनुभव करते हैं, जो आपके लिए दुर्निवार हो तो आपपर शादी करनेके लिए जितना भी दबाव डाला जाये, उसका प्रतिरोध करना आपके लिए न केवल उचित बल्कि कर्त्तव्य रूप होगा। यदि आप अपनी वासनापर विजय पा सकें तो मुझे निश्चय है कि आप अपने परिवारके प्रति जो दायित्व महसूस करते हैं उनका तकाजा भी यही होगा कि आप शादी न करें ।

यदि आप मुझसे मिलने आना चाहते हों तो एक बात याद रखिए कि यद्यपि अन्य सभी शर्तें पूरी हो जानेपर आपको अपने परिवारका भरण-पोषण करनेके लिए पर्याप्त मिल सकेगा, लेकिन आप इस स्थितिमें अवश्य हों कि आपको, जहाँ-कहीं जरूरत हो वहाँ नियुक्त किया जा सके, बल्कि यदि आपको ऐसा काम दिया जाये जिसमें यहाँ-वहाँ आते-जाते रहना पड़े तो इसमें भी आपको कोई आपत्ति न हो । इसके अलावा अगर आप हिन्दी न जानते हों तो आपको वह भी सीखनी पड़ेगी ।

हृदयसे आपका,

श्रीयुत डी० सी० बोस,

५५, कार्नवालिस स्ट्रीट

कलकत्ता

अंग्रेजी (एस० एन० १२६०१ ) की फोटो नकलसे ।